लखनऊ: वाहनों की चेकिंग के दौरान यातायात पुलिस के साथ अक्सर बदसलूकी की घटनाएं हो जाती हैं. इस तरह की घटनाओं पर नियंत्रण स्थापित करने, लोगों पर नजर रखने के साथ ही यातायात पुलिस के काम में पारदर्शिता लाने के लिए यातायात विभाग ने ट्रैफिक इंस्पेक्टरों, सब इंस्पेक्टरों को बॉडी वॉर्न कैमरे दिए थे. यह कैमरे पुलिस के लिए वरदान साबित हुए हैं तो रसूखदारों के लिए अभिशाप. अब पुलिस के साथ अनुशासनहीनता की घटनाओं में बड़े स्तर पर कमी आई है. कैमरा लगा होते देख रसूखदार खुद-ब-खुद नतमस्तक हो जाते हैं, वहीं ट्रैफिक पुलिस का काम काफी आसान हो जाता है. कुल मिलाकर ये कैमरे विभाग की छवि सुधारने के लिए बेहतर साबित हो रहे हैं.
अब नहीं मिलती वर्दी उतरवाने की धमकी
यातायात पुलिस जब हाईटेक नहीं थी, तब उसके लिए चेकिंग अभियान चलाना काफी मुश्किल हो जाता था. वजह थी कि चेकिंग के दौरान रसूखदार अक्सर पुलिस से भिड़ जाते थे. वर्दी उतरवाने तक की धमकी दे डालते थे. इतना ही नहीं, कई बार तो पुलिस के साथ यह रसूखदार धक्का-मुक्की पर भी आमादा हो जाते थे. ट्रैफिक पुलिस के चेकिंग करने पर चौराहे पर धरना देने तक बैठ जाते थे, लेकिन धीरे-धीरे पुलिस ने अपनी कार्यशैली बदली और खुद को हाईटेक करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए. इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए बॉडी वॉर्न कैमरों का सहारा लिया गया. शुरुआत में यातायात विभाग ने दर्जन भर ट्रैफिक इंस्पेक्टरों को यह कैमरे उपलब्ध कराए और ट्रायल किया. ट्रायल में सामने आया कि वर्दी के अगले हिस्से में कैमरा लगा होने से लोग पुलिस से अनुशासित तरीके से पेश आने लगे. अनुशासनहीनता करने की हिम्मत भी नहीं पड़ी. ऐसे में ट्रैफिक पुलिस ने काफी अच्छी क्वालिटी के कैमरे ट्रैफिक सब-इंस्पेक्टरों को मुहैया कराए. एक कैमरे की कीमत करीब 20 हजार रुपये थी.