लखनऊ: कहीं ब्लड बैंक में कम रक्तदान। कहीं ज्यादा दान, तो खपत कम। यह असुंतलन रक्त की बर्बादी का कारण बन रहा है। वहीं कई जरूरतमंदों को समय पर खून मिलना भी मुश्किल हो रहा है, लेकिन यूपी में अब ऐसा नहीं होगा। यहां संग्रह किए गए खून की एक-एक बूंद मरीजों के काम आएगी। यह मुमकिन होगा नई ब्लड ट्रांसफर पॉलिसी से।
स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल की सचिव डॉ गीता अग्रवाल के मुताबिक कोरोना काल में रक्तदान में कमी आई है। वहीं, उपलब्ध खून की बर्बादी आपूर्ति-खपत के अंतर को और बढ़ा रही है। लिहाजा, राज्य की सभी सरकारी-निजी ब्लड बैंकों के लिए 'ब्लड ट्रासंफर पॉलिसी' बनाई गई है। इसके जरिये हर ब्लड बैंक को उपयोग न होने वाली यूनिट को एक्सपायरी से पहले सार्वजनिक करना होगा। कितनी यूनिट, किस ग्रुप की हैं, इसका ब्योरा देना होगा। वहीं जिस ब्लड बैंक को आवश्यकता होगी, उसे यूनिट ट्रांसफर करनी होंगी। इससे रक्त की बर्बादी रुकेगी। वहीं तमाम जरूरतमंदों को ब्लड भी मिल सकेगा।
2.5 फीसद एक्सपायर हो रहा था खून, ट्रायल सफल
डॉ गीता अग्रवाल के मुताबिक राज्य में हर वर्ष करीब 2. 5फीसद रक्त खराब हो रहा था। ऐसे में कुछ माह पहले ब्लड ट्रांफर पॉलिसी बनाई गई। इसके तहत उपयोग न होने वाली ब्लड यूनिट को समयगत विभाग की स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल की वेबसाइट पर जानकारी देने के निर्देश दिए गए। ऐसे में खराब होने से पहले रक्त को एक ब्लड बैंक से दूसरे में ट्रांसफर किया गया। इसके सकारत्मक परिणाम आए। लिहाजा अब रक्त की एक्सपायरी की दर घटकर एक फीसद रह गयी है। वहीं खून की बर्बादी अब पूरी तरह रोकनी है। ऐसे में अब पॉलिसी को कड़ाई से लागू किया जाएगा। वाट्सएप ग्रुप से सभी सभी ब्लड बैंक जुड़ेंगी। वहीं ब्लड के उपयोग न होने पर समयगत जानकारी ग्रुप पर साझा किया जाएगा। साथ ही उसका तत्काल ट्रांसफर भी सुनिश्चित किया जाएगा। ब्लड बैंकों को एक्सपायरी डेट से 10 दिन पहले अलर्ट करना होगा। वहीं सात दिन पहले ब्लड यूनिट ट्रांसफर करनी होंगी।