लखनऊ :लोकसभा चुनावों को अब कुछ माह ही शेष हैं. ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीति बना रहे हैं. देश और प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी भी चुनावों को लेकर कोई कोर-कसर छोड़ना नहीं चाहती है. यही कारण है कि वह अपने वोट बैंक को सहेजने के लिए विभिन्न आयोजन कर रही है. पार्टी एक ओर प्रदेशभर में महिला सम्मेलनों का आयोजन कर आधी आबादी को बताना चाहती है कि भाजपा ही वह राजनीतिक दल है, जो महिलाओं के हितों को सबसे आगे रखता है. चाहे नारी शक्ति वंदन यानी महिला आरक्षण की बात हो या मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक के दंश से मुक्ति दिलाने का मामला. भारतीय जनता पार्टी ने हमेशा महिलाओं के हितों के मुद्दों को ध्यान रखकर कानून बनाने का काम किया है. वहीं प्रदेशभर में अनुसूचित वर्ग सम्मेलन कर भाजपा दलित मतदाताओं को बताना चाहती है कि वह चाहे प्रतिनिधित्व का मामला हो या सरकार की योजनाओं से लाभान्वित करने का दलितों के हितों से कभी समझौता नहीं करती.
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश संगठन ने राज्य में छह अनुसूचित वर्ग सम्मेलन करने का एलान किया है. इसी क्रम में पहला सम्मेलन हापुड़ में सम्पन्न हुआ. जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह सहित कई मंत्री और पार्टी व मोर्चा के पदाधिकारी शामिल हुए. अगला सम्मेलन 19 अक्टूबर को अलीगढ़ में होगा. 28 अक्टूबर को कानपुर, 30 अक्टूबर को प्रयागराज और तीन नवंबर को गोरखपुर में भाजपा अनुसूचित वर्ग के सम्मेलन होंगे. दो नवंबर को लखनऊ स्थित रमाबाई अंबेडकर मैदान में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता इस सम्मेलन में जुटेंगे. इसी तरह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में 17 अक्टूबर को बुलंदशहर में पहला महिला सम्मेलन होगा. इसके बाद 19 अक्टूबर को हाथरस, 28 अक्टूबर को औरैया, 30 अक्टूबर को मिर्जापुर, दो नवंबर को हरदोई और तीन नवंबर को बलिया में महिला सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे. भाजपा समझती है कि यदि उसे आधी आबादी यानी महिलाओं का समर्थन मिल जाए और लगभग 21 फीसद दलितों का साथ भी हासिल हो जाए, तो उसे उत्तर प्रदेश में पुराना इतिहास दोहराने से कोई नहीं रोक सकता है.