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राज्यसभा में कटेगा संजय सेठ का पत्ता, विराज सागर दास और लक्ष्मीकांत वाजपेयी होंगे नये चेहरे

बीजेपी को जून महीने में राज्यसभा के चुनाव में दांव आजमाना है. जहां उत्तर प्रदेश में 11 सीटों पर बीजेपी चुनाव लड़ेगी. इस चुनाव में पांच के मुकाबले विधायकों की संख्या को देखते हुए इस बार बीजेपी को आठ सीटें जीतने का मौका मिल सकता है.

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Published : May 14, 2022, 4:44 PM IST

लखनऊः बीजेपी को जून महीने में राज्यसभा के चुनाव में दांव आजमाना है. उत्तर प्रदेश में 11 सीटों पर बीजेपी चुनाव लड़ेगी. इस चुनाव में पांच के मुकाबले विधायकों की संख्या को देखते हुए इस बार बीजेपी को आठ सीटें जीतने का मौका मिल सकता है. जिसमें खास बात ये है कि लखनऊ में बिल्डर संजय सेठ को इस बार राज्यसभा सीट से हाथ धोना पड़ेगा. उनकी जगह पूर्व मुख्यमंत्री बाबू बनारसी दास के पौत्र और पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश दास के बेटे विराज सागर दास को राज्यसभा का टिकट देने की तैयारी की जा रही है. जबकि बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी को भी राज्यसभा चुनाव में उतारा जा सकता है.

इस वक्त उत्तर प्रदेश में केंद्रीय मंत्री, बिल्डर संजय सेठ, शिवप्रताप शुक्ला, जयप्रकाश निषाद और जफ़र इस्लाम और सुरेंद्र सिंह नगर ये पांच सांसद हैं, जो बीजेपी से हैं. बीएसपी सतीश चंद्र मिश्र और अशोक सिद्धार्थ, सपा से रेवतीरमण सिंह विश्वम्भर प्रसाद निषाद और सुखराम यादव सांसद हैं. जबकि कांग्रेस से कपिल सिब्बल का नाम है. बीजेपी से जुड़े इन पांच पुराने नामों में से जफर इस्लाम के अलावा बाकी सारे नाम नए होने की उम्मीद की जा रही है. जिसमें सबसे अहम नाम लखनऊ विराज सागर दास का है.

राज्यसभा के चुनाव में दांव

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विराज सागर दास के पिता अखिलेश दास का राजनैतिक करियर कांग्रेस और सपा के साथ रहा है. जबकि विराज सागर दास बीजेपी से जुड़ते हुए नजर आ रहे हैं. विराज बीजेपी की रायबरेली सदर से विधायक अदिति सिंह के बहनोई हैं. वे दिनोंदिन बीजेपी के नजदीक आते जा रहे हैं. जबकि इस बार संजय सेठ से पार्टी किनारा करेगी. बीजेपी इस बार पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी को भी बीजेपी राज्यसभा भेज सकती है. उनके नाम की चर्चा भी तेज है. इसके अलावा बीजेपी बाकी नामों पर चर्चा कर रही है. 29 मई तक बीजेपी सभी नाम तय कर लेगी. जिसके बाद नामांकन किया जायेगा. बीएसपी की सदस्यता इस बार शून्य होगी. बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता मात्र एक विधायक होने की वजह से ऐसा होगा. सतीश चंद्र मिश्र का कार्यकाल पूरा हो रहा है और ऐसी कोई भी उम्मीद भी नजर नहीं आ रही है कि वो दोबारा राज्यसभा जा सकेंगे.

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