लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी को अपेक्षा के अनुरूप परिणाम नहीं मिले हैं, जिसके कारण पार्टी नेतृत्व चिंतित है. पंचायत चुनाव को लेकर पार्टी ने जिला वार रिपोर्ट मंगाई है. उस पर पार्टी के जिम्मेदार नेता मंथन कर रहे हैं. यूपी बीजेपी प्रभारी राधा मोहन सिंह ने प्रदेश नेतृत्व के साथ-साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी पंचायत चुनावों के परिणामों पर चर्चा की है. वहीं दूसरी तरफ पार्टी के भीतर से यह संकेत मिलने शुरू हो गए हैं कि पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार लोगों के दायित्व में बदलाव किया जा सकता है. पंचायत चुनाव शुरू होने से लेकर अब तक चुनावों पर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष की नजर बनी हुई है.
बूथ स्तर तक कमेटी फिर भी हार
उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत के 3,051 वार्ड हैं. इनमें से पार्टी के 954 प्रत्याशी ही विजयी हो सके हैं. यह तब हुआ जब पार्टी का सांगठनिक ढांचा बूथों तक खड़ा है. पार्टी का दावा ता कि प्रदेश के एक लाख 63 हजार बूथों में से करीब डेढ़ लाख बूथों पर भाजपा की कमेटियां गठित हैं. मतलब प्रत्येक बूथ पर कम से कम 21 कार्यकर्ता सक्रिय हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भाजपा के बूथ अध्यक्षों ने पार्टी उम्मीदवारों का साथ नहीं दिया? या फिर इस हार के पीछे का कोई और कारण है. इतना ही नहीं पिछले चार वर्षों में पार्टी ने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से गांव-गांव तक पहुंचने का दावा किया है.
विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा असर
बंगाल में हार के साथ ही यूपी के पंचायत चुनाव में भी अपेक्षा के अनुरूप परिणाम नहीं मिलने से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की चिंता और भी बढ़ गयी है. नेतृत्व नहीं चाहता कि जनता के बीच पार्टी की हार या विपक्ष से पीछे रह जाने का संदेश जाए. अगर जनता के बीच यह संदेश गया तो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर इसका असर पड़ सकता है, इसीलिये पार्टी के रणनीतिकार मंथन करने में जुट गए हैं. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और राधा मोहन सिंह की मौजूदगी में शुक्रवार को ऐसे ही हर पहलू पर विचार किया गया. राधा मोहन सिंह ने परिणामों पर संतोष व्यतक करते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुखों के चुनाव पर फोकस करने को कहा है.