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...तो क्या स्वामी चिन्मयानंद को भाजपा दे रही है शह!

स्वामी चिन्मयानंद के प्रकरण पर भाजपा की नीयत पर सवाल उठ रहे हैं कि बीजेपी कहीं अपने ही नेता को बचाने का काम तो नहीं कर रही है. वहीं दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि अगर यह पूरा प्रकरण किसी दूसरे दल के नेता के साथ होता, तो भाजपा मुखर होकर इसका विरोध करती.

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Published : Sep 18, 2019, 3:19 PM IST

स्वामी चिन्मयानंद.

लखनऊ: दुष्कर्म के आरोप से घिरे बीजेपी नेता स्वामी चिन्मयानंद मामले में भारतीय जनता पार्टी ने चुप्पी साधी हुई है. इस पूरे घटनाक्रम को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी में स्वामी चिन्मयानंद का मददगार आखिर कौन है. पार्टी के अंदर से ही नेता तमाम तरह की बात कर रहे हैं. आखिर इतने गंभीर आरोप लगने के बावजूद भाजपा या योगी आदित्यनाथ सरकार इस पर बचाव की मुद्रा में क्यों बनी हुई है. इस मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी की फजीहत भी हो चुकी है.

देखें रिपोर्ट.
स्वामी चिन्मयानंद के बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से नजदीकी रिश्ते उनके खिलाफ कार्रवाई में बाधा बन रहे हैं. शाहजहांपुर जिला प्रशासन लगातार स्वामी चिन्मयानंद का बचाव करता रहा. आरोप लगाने वाली पीड़िता की तरफ से एफआईआर दर्ज करने में भी देरी की गई. इस पूरे घटनाक्रम को लेकर न्यायालय की तरफ से फटकार लगाई गई और न्यायालय के निर्देश पर इस घटनाक्रम की जांच शुरू हुई, लेकिन अभी भी दुष्कर्म का मुकदमा नहीं दर्ज हो सका. इस पूरे घटनाक्रम की एसआईटी से जांच हो रही है.एनडीए सरकार में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री का दायित्व निभाने वाले स्वामी चिन्मयानंद बीजेपी से कई बार सांसद भी रहे हैं. आश्रम के महंत स्वामी चिन्मयानंद पर इससे पहले भी उनके ही आश्रम की एक साध्वी ने दुष्कर्म के आरोप लगाए थे.

यह मामला दब गया और स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा भी योगी आदित्यनाथ सरकार ने वापस ले लिया था, जिसको लेकर उस समय भी तमाम तरह के सवाल उठे थे. उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद शाहजहांपुर भी गए थे, जहां वे स्वामी चिन्मयानंद से भी मिले थे. ऐसे में अब कार्रवाई में प्रशासन की रफ्तार सुस्त है तो तमाम तरह की बातें सामने आ रही हैं.

बीजेपी के कुछ नेता आपसी बातचीत में यह तर्क देते हैं कि स्वामी चिन्मयानंद के महंत अवैद्यनाथ के करीबी होने के कारण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी अच्छे रिश्ते हैं. सीएम बनने के बाद वह स्वामी के आश्रम भी गए थे. अब जब एक बार स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ उनके ही कॉलेज की छात्रा के द्वारा दुष्कर्म के आरोप लगाए गए हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की रफ्तार सुस्त होने को लेकर सवाल उठना लाजमी है. स्वामी चिन्मयानंद के बीजेपी के नेताओं से करीबी रिश्ते होने का उन्हें लाभ मिल रहा है.

खास बात यह भी है कि उन्नाव से विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के प्रकरण पर भी भारतीय जनता पार्टी असमंजस की स्थिति में रही. जब हाईकोर्ट की तरफ से सख्ती बरती गई तब कुलदीप सिंह सेंगर को पार्टी से निकाला गया था. भारतीय जनता पार्टी अपने लोगों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर असमंजस में हमेशा नजर आई और बचाव करती हुई साफ-साफ दिख रही थी. अब यही पूरा मामला स्वामी चिन्मयानंद पर भी है कि आखिर उन्हें कौन बचा रहा है.

यह बचाव करने की बात नहीं है, कानून अपना काम कर रहा है. कुछ लोगों ने कुलदीप सिंह सेंगर पर आरोप लगाए थे, पार्टी ने उन्हें निकाल दिया था और इस प्रकरण पर भी कानून अपना काम कर रहा है.
-अशोक पांडेय, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा

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