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पूरे साल यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारी करती रही भाजपा और नेता कराते रहे किरकिरी

भारतीय जनता पार्टी ने 2021 के शुरुआत से ही यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) की तैयारियों में जुट गई थी. जबकि भाजपा के कई नेता बीच-बीच में योगी सरकार की किरकिरी कराते रहे.

पूरे साल यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारी करती रही भाजपा.
पूरे साल यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारी करती रही भाजपा.

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Published : Dec 22, 2021, 5:25 PM IST

लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी 2021 में यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) की तैयारियों में जुटी रही है. बूथ विजय अभियान, संपर्क अभियान, पन्ना प्रमुख बनाना जैसे अनेक कार्यक्रम चलाए. इसके अलावा पंचायत चुनाव की चुनौती सामने रही. कुलदीप सेंगर और अजय मिश्र टेनी जैसे नेताओं की करतूतों से भी भाजपा इस साल जूझती रही. कोरोना काल के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद मैदान में उतारकर स्पष्ट संदेश दिया कि मेहनत और फील्ड में उतर कर ही कामयाबी हासिल हो सकती है. इसका परिणाम यह हुआ कि भाजपा के नेता और कार्यकर्ता मैदान में उतरे. कोरोना काल में पार्टी द्वारा किए गए कामों का श्रेय 2022 के विधानसभा चुनाव में लेने की तैयारी भाजपा कर रही है.

पूरे साल यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारी करती रही भाजपा.


2021 आते ही चुनावी तैयारी में जुटी भाजपा
भाजपा ने 2021 की शुरू होते ही यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियों में जुट गई. भाजपा ने विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए लोगों को जोड़ने का अभियान शुरू किया. नव वर्ष पर हुए कार्यक्रमों के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी ने बूथों पर कमेटियों को सक्रिय किया. 21 कार्यकर्ताओं की बूथ कमेटियां पूरे उत्तर प्रदेश में बनाई गईं. 1,65,000 बूथों में से अधिकांश पर पार्टी ने अपनी बूथ कमेटियों का गठन कर दिया.

करीब 10 लाख पन्ना प्रमुख भी बनाए गए. वोटर लिस्ट के प्रत्येक पृष्ठ पर एक कार्यकर्ता को पन्ना प्रमुख कहते हैं. इस पन्ना प्रमुख अभियान में सामान्य कार्यकर्ता से लेकर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सभी मंत्री और सांसद भी शामिल किए गए.

इस तरह से भारतीय जनता पार्टी ने संगठन के स्तर पर ग्रास रूट स्तर पर काम किया है. पार्टी ने अपनी सभी 403 विधानसभा सीटों के लिए विधानसभा प्रभारियों की नियुक्ति भी की है, जो एक-दूसरे जिले से आते हैं और उनका काम विधानसभा क्षेत्र में पार्टी या उसके मजबूत प्रत्याशियों का कामकाज देखना होता है. इसकी रिपोर्ट विधानसभा प्रभारी संगठन को उपलब्ध कराते हैं. विधानसभा चुनाव में जब टिकट चयन होगा तब इन विधानसभा प्रभारियों की रिपोर्ट अहम होगी.


पंचायत चुनाव में पार्टी पर लगा सत्ता के दुरुपयोग का आरोप
कोरोना जब चरम पर था तब सरकार ने पंचायत चुनाव कराए. सीधे जनता से चुने जाने वाले पदों पर भाजपा का प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहा, जितनी पार्टी को उम्मीद थी. जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में भाजपा-सपा और बसपा की संख्या लगभग बराबर थी. 800 से अधिक सीटों पर चुनाव हुए थे. इसके बाद जिला पंचायत चेयरमैन के चुनाव में कुल 75 सीटों में से 90 फीसद से अधिक भाजपा के कब्जे में गई थीं. भाजपा पर आरोप लगे थे कि उसने सत्ता का दुरुपयोग किया है. इसी तरह से ब्लॉक प्रमुखों के पदों पर भी सत्ता के दुरुपयोग के आरोप लगे. पार्टी ने इस चुनाव में मिली सफलता को अपने खाते में ही जोड़ा.


विवादित फैसलों को पलटने में पार्टी को मिली बदनामी
भाजपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में बलात्कार के दोषी पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की पत्नी को टिकट दिया था. रेप पीड़िता ने तत्काल इस मामले में बयान जारी कर टिकट वापसी की मांग की थी. मीडिया और सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया होने के बाद पार्टी ने अपना फैसला बदला और टिकट माफिया रहे दिवंगत अजीत सिंह की पत्नी को दे दिया था. इसी तरह से पार्टी ने जुलाई में बसपा में रहे जितेंद्र सिंह बबलू को पार्टी में शामिल किया. बबलू पर आरोप हैं कि उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और वर्तमान में प्रयागराज से भाजपा सांसद रीता जोशी बहुगुणा के लखनऊ के मॉल एवेन्यू स्थित आवास में आग लगाई थी. रीता जोशी ने जितेंद्र सिंह बबलू के भाजपा में आते ही तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और उनको पार्टी से हटाने की मांग की. कुछ दिनों बाद पार्टी ने अपना यह फैसला भी बदला और बबलू को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया.

कई नेताओं की करतूतों का नहीं रहा जवाब
कई नेताओं की करतूतों ने भारतीय जनता पार्टी को असमंजस की स्थिति में भी डाला. जिसमें सबसे बड़ा नाम केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी का है. टेनी के पुत्र पर आरोप है कि लखीमपुर खीरी में 4 किसानों को जीप से कुचलकर चार मौत के घाट उतार दिया. इस घटना के बाद लगातार अजय मिश्र किसान आंदोलन के नेताओं और विपक्ष के नेताओं के निशाने पर रहे. इसके बाद टेनी की मीडिया के साथ हुई नोकझोंक से पार्टी को और भी खराब स्थिति का सामना करना पड़ा. इसी वर्ष उन्नाव के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को भी अदालत से सजा मिलने का एलान हुआ. विपक्ष ने इस मुद्दे पर भी पार्टी को खूब घेरा.

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चर्चा में रहे नेताओं के यह बयान
2021 भाजपा के नेताओं ने कुछ ऐसे बयान दिए जो लगातार चर्चा में रहे. एक बार एक न्यूज़ चैनल के कार्यक्रम में स्वतंत्र देव सिंह ने कहा था कि उत्तर प्रदेश में महंगाई नहीं है. इस पर जमकर हो-हल्ला मचा और विपक्ष ने उनको निशाने पर लिया. इसके बाद स्वतंत्र देव सिंह और पार्टी की ओर से स्पष्ट किया गया कि उनके कहने का अर्थ यह है कि उत्तर प्रदेश में सरकारी योजनाओं का लाभ इस कदर आम आदमी को मिल रहा है कि उस पर महंगाई का असर नहीं हो रहा है. विपक्ष इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हुआ. किसान आंदोलन के दौरान लखीमपुर में चार किसानों की कुचलने से हुई मौत के बाद एक कार्यक्रम में स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि कार्यकर्ता को ऐसा भी नहीं होना चाहिए कि वह फॉर्च्यूनर से लोगों को रौंद दे. जिसके बाद में एक बार फिर स्वतंत्र देव सिंह अपने बयान पर घिरते हुए नजर आए.

वहीं, भाजपा सांसद वरुण गांधी विपक्ष से अधिक तीखे तेवर पूरे साल दिखाते रहे. उन्होंने किसान आंदोलन से लेकर भ्रष्टाचार और अनेक मुद्दों पर सरकार को घेरा. लगातार ट्वीट करते हुए अपनी ही पार्टी को निशाने पर लेते रहे. यह बात दीगर है कि वरुण गांधी की इन बातों का कोई खास जवाब भारतीय जनता पार्टी के किसी भी बड़े नेता ने नहीं दिया. पिछले महीने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के एक बयान की काफी चर्चा रही, जिसमें उन्होंने कहा था कि अयोध्या और काशी में मंदिर निर्माण जारी है, अब मथुरा की बारी है. इस बयान के आते ही पूरे देश में सियासी हड़कंप मच गया था और मथुरा मंदिर निर्माण को लेकर सियासत गर्म हो गई थी.

धर्मेंद्र प्रधान बने चुनाव प्रभारी, अनुराग ठाकुर को भी जिम्मेदारी
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को 2022 विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी ने प्रदेश का चुनाव प्रभारी बनाया है. उनके साथ केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को सह प्रभारी बनाया गया. कुछ अन्य केंद्रीय मंत्रियों और बड़े भाजपा नेताओं को इस टीम में शामिल किया गया. धर्मेंद्र प्रधान को प्रभारी बनाए जाने के कुछ ही दिनों बाद निषाद पार्टी के साथ पार्टी का विधानसभा चुनाव को लेकर गठबंधन घोषित किया गया.


जितिन प्रसाद व अदिति सिंह जैसे नेता हुए भाजपाई
तराई क्षेत्र में कांग्रेस के बड़े नेता और राहुल गांधी की कोर टीम का हिस्सा रहे जितिन प्रसाद को भाजपा में शामिल किया गया. इसके बाद में उनको भाजपा ने एमएलसी भी बनाया. इस निर्णय को लेकर कहा गया कि इससे पार्टी को ब्राह्मणों के बीच में प्रभाव डालने का मौका मिलेगा. पिछले दिनों रायबरेली विधायक और कांग्रेस के खिलाफ लगातार बगावती तेवरों में रहीं अदिति सिंह ने भी पार्टी का दामन थाम लिया. इसके अतिरिक्त अनेक पूर्व व वर्तमान विधायक जो कि अन्य दलों से जुड़े रहे, उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली.

भाजपा का काम करने का एक अलग तरीका
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक राजकुमार सिंह का कहना है कि भाजपा का काम करने का एक अलग तरीका है. भाजपा के नेता और कार्यकर्ता पूरे साल चुनाव की तैयारी में लगे रहते हैं. यही काम उन्होंने विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारी को लेकर 2021 में किया. राजनीतिक विश्लेष का कहना है कि अजय मिश्र टेनी जैसे नेताओं की वजह से भाजपा को लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ा. किसान आंदोलन के मुद्दे पर भी भाजपा घिरी रही और कोरोना ने भी भाजपा को कई जगह चोट पहुंचाई है. अब यह देखना होगा कि 2022 में पार्टी के 2021 में किए गए कामों का कितना असर रहता है.


पूरे साल तैयारियों में जुटी रही पार्टी
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपेई का कहना है कि भाजपा पूरे साल काम करने वाली पार्टी हैं. इस साल भी यही किया गया. उन्होंने कहा कि कोरोना काल होने के बावजूद मुख्यमंत्री से लेकर सामान्य कार्यकर्ता तक जनता की सेवा में जुटे रहे. पूरे देश की इकॉनमी में उत्तर प्रदेश को दूसरे स्थान पर ले गए. यही भाजपा की कामयाबी है और इसी कामयाबी को हम 2022 में भी दोहराएंगे.

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