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UP Assembly Election 2022: UP में भाजपा के लिए भाजपाई ही होंगे खतरा, जानें कैसे... - Deputy Chief Minister Dr Dinesh Sharma

यूपी में भाजपा के लिए भाजपाई ही खतरा बन गए हैं और इस बात को सीएम योगी भी भलीभांति समझ रहे हैं. लेकिन सूबे की मौजूदा सियासी परिदृश्य को देखते हुए फिलहाल सभी ने चुप्पी साध रखी है, ताकि इसका तैयारियों पर कोई असर न पड़े. खैर, कैसे भाजपा के लिए भाजपाई खतरा बन गए हैं. इसे जानने को पढ़े पूरी खबर...

यूपी में भाजपा के लिए भाजपाई ही होंगे खतरा!
यूपी में भाजपा के लिए भाजपाई ही होंगे खतरा!

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Published : Oct 4, 2021, 10:11 AM IST

लखनऊ: सूबे में आगामी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) की तैयारियों में जुटी भाजपा को अबकी किसी दूसरे दल से नहीं, बल्कि अपनों से ही अधिक खतरा है. यही कारण है कि पार्टी अबकी कई मौजूदा विधायकों का टिकट काटने की तैयारी में है. लेकिन फिलहाल यह तय नहीं हो सका है कि उनके स्थान पर किन लोगों को टिकट दिए जाएंगे. पार्टी सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) के नेतृत्व में पार्टी सूबे की सत्ता में दोबारा आने को सारी तैयारियां दुरुस्त करने में जुट गई है. यहां तक कि कुछ लोगों का कहना है कि पार्टी ने टिकट वितरण प्रणाली को पारदर्शी बनाने को क्षेत्रों में सर्वे भी कराए हैं. साथ ही सर्वे में इस बात पर भी जोर दिया गया कि क्षेत्र के लोग क्या मौजूदा विधायक के कामकाज से संतुष्ट हैं या नहीं है. अगर नहीं हैं तो फिर उनके विकल्प के तौर पर किसे देखते हैं.

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दरअसल, भाजपा अपने जीते विधानसभाओं पर दोबारा जीत सुनिश्चित करने को लगातार फीडबैक ले रही है और क्षेत्रों की हर गतिविधि से अवगत रहने और समस्याओं के निपटान को क्षेत्रों में विशेष टीम का गठन किया गया है. वहीं, इस टीम में सक्रिय पार्टीकर्मी बिना सुर्खियों में आए जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं संग मिलकर काम कर रहे हैं.

लेकिन इन सब के बावजूद सबसे अहम बात यह है कि पार्टी जिस फार्मूले को अपना सूबे में सियासी मैदान मारने के फिराक में है, उस पर उसी के नेता पानी फेर सकते हैं. पार्टी फार्मूले की बात करें तो आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण को कई विशेष पैरामीटर बनाए गए हैं. वहीं, एक सूची तैयार की गई है, जिसमें 150 से 160 उन नामों को शामिल किया गया है, जो मौजूदा विधायकों का विकल्प हो सकते हैं.

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लेकिन यह भी तय माना जा रहा है कि जिन विधायकों का अबकी टिकट कटेगा, वो भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बनेंगे. यही कारण है कि समाजवादी पार्टी टिकट बंटवारे को भले ही आवेदन पत्र ले रही हो, पर क्षेत्रवार व्यक्ति विशेष को अधिक महत्व देने के बजाए फिलहाल वेट एंड वॉच की स्थिति में है.

सूत्रों की मानें तो साढ़े चार सालों तक संगठन व सरकार की गतिविधियों में निष्क्रिय रहने वाले विधायकों का अबकी भाजपा टिकट काटेगी तो वहीं, इस समयावधि में अपने अनर्गल बयानबाजी से पार्टी और सरकार के लिए परेशानी बढ़ाने वाले विधायकों पर भी गाज गिर सकती है.

सूबे के सियासी जानकारों की मानें तो अबकी पार्टी 70 साल या उससे अधिक आयु के विधायकों का भी टिकट काट सकती है. इसके अलावे शारीरिक समस्याओं व बीमारियों से ग्रसित बुजुर्ग विधायकों के भी अबकी टिकट कट सकते हैं. दरअसल, पार्टी मानती है कि जिन विधायकों से स्थानीय जनता, कार्यकर्ता, संगठन पदाधिकारी नाराज है, उनकी जगह नए चेहरे को मौका देने से फायदा होगा.

साथ ही जिन विधायकों पर समय-समय पर अलग-अलग तरह के आरोप लगते रहे हैं, उन विधायकों को भी टिकट देने से पार्टी परहेज करेगी. साथ ही विधानसभा चुनाव 2017 में अधिक अंतर से हारे उम्मीदवारों को भी टिकट नहीं दिए जाएंगे.

पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रत्याशी चयन को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सर्वे पर अधिक जोर दिया है. हालांकि, एक सर्वे हो चुका है और एक बार फिर से सर्वे कराए जाने की बात सामने आई है. इतना ही नहीं गृहमंत्री अमित शाह भी अपने स्तर पर एजेंसियों को लगा जमीनी हकीकत जानने को सर्वे पर अधिक बल दिए हुए हैं.

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा ने 50 फीसद से अधिक वोट बैंक के साथ 350 सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इस लक्ष्य को पूरा करने को पार्टी प्रत्याशियों के चयन के मामले में फूंक-फूंक कर कदम रखने वाली है. पार्टी सूत्रों की मानें तो प्रत्याशी चयन के लिए हर संगठनात्मक जिले से उनके क्षेत्राधिकार की सीटों पर तीन-तीन नामों का पैनल मंगवाया जा रहा है. वहीं, क्षेत्रीय टीमों से भी तीन-तीन नामों का पैनल मंगाया गया है.

क्षेत्र व जिलों से आए पैनल पर मंथन कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा के प्रदेश चुनाव प्रभारी धर्मेन्द्र प्रधान, भाजपा के प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा और महामंत्री संगठन सुनील बंसल की कमेटी तीन-तीन नामों का पैनल तैयार करेगी.

कमेटी की ओर से हर सीट के लिए वरीयता के क्रम में दो से तीन नाम का पैनल तैयार कर पार्टी के संसदीय बोर्ड के समक्ष रखा जाएगा. इन सब के बीच पार्टी प्रत्याशी चयन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भी राय लेगी. संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले और सह सरकार्यवाह कृष्णगोपाल लगातार सूबे में प्रवास कर पार्टी के लिए चुनावी जमीन मजबूत कर रहे हैं.

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