लखनऊ : अब्दुल्ला आजम की विधानसभा सदस्यता समाप्त करने की मांग रामपुर से भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने की थी. उन्होंने प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप दुबे को पत्र लिख कर यह मांग की थी. रामपुर की स्वार विधानसभा से विधायक अब्दुल्ला आजम की सदस्यता पर संकट मंडरा रहा था. मुरादाबाद की एमपी एमएलए कोर्ट कोर्ट से 2 वर्ष की सजा सुनाए जाने के बाद यह मांग उठाई गई थी. इसके बाद लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत विधानसभा सदस्यता समाप्त करने की घोषणा कर दी गई है.
विधानसभा सदस्यता समाप्त करने की मांग उल्लेखनीय है कि रामपुर की स्वार विधानसभा सीट से सपा विधायक अब्दुल्ला आजम को 15 वर्ष पुराने एक मामले में एमपी एमएलए कोर्ट ने 2 वर्ष की सजा सुनाई थी. इस मुकदमे में मोहम्मद आजम खान भी दोषी करार दिए गए थे. यह दूसरा मौका है जब सपा विधायक अब्दुल्ला आजम की विधानसभा की सदस्यता रद्द हुई है. इसके साथ ही करीब दो दशक बाद यह पहला मामला है जब आजम परिवार का कोई भी व्यक्ति विधानसभा में नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रम में अब्दुल्ला आजम की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक किसी भी जनप्रतिनिधि को किसी भी मुकदमे में 2 वर्ष से अधिक की सजा मिलने पर विधानसभा की सदस्यता या लोकसभा की सदस्यता रद्द कर दी जाती है. ऐसे में जब मुरादाबाद की एमपी एमएलए कोर्ट ने अब्दुल्ला आजम को 2 वर्ष की सजा का ऐलान किया है तो संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार अब्दुल्ला की सदस्यता स्वत: ही समाप्त हो गई और विधानसभा सचिवालय की तरफ से रामपुर की स्वार सीट को रिक्त घोषित कर दिया गया है.
सपा विधायक अब्दुल्ला आजम की सदस्यता समाप्त
इससे पहले भी वर्ष 2017 में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने के मामले में कोर्ट ने अब्दुल्लाह आजम को 2 वर्ष की सजा सुनाई थी. इसके बाद विधानसभा की सदस्यता अब्दुल्ला आजम की समाप्त हो गई थी. इसके अलावा सपा के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान को हेट स्पीच मामले में 2 वर्ष की सजा मिलने के बाद विधानसभा की सदस्यता समाप्त कर दी गई थी. अब्दुल्ला आजम की भी विधानसभा सदस्यता एक बार फिर समाप्त हुई है. साथ ही यह ऐसा मौका हो कि जब आजम परिवार का कोई भी व्यक्ति विधानसभा का सदस्य नहीं होगा. आजम खान के खिलाफ करीब 90 और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम के खिलाफ करीब 45 मुकदमे दर्ज हैं.
सपा विधायक अब्दुल्ला आजम की सदस्यता समाप्त
बता दें, दो दिन पहले एक राजनीतिक आंदोलन के मामले में अब्दुल्ला आजम को अदालत ने 2 साल की सजा सुनाई गई थी. नियम यह है कि 2 साल की सजा होने की दशा में विधानसभा की सदस्यता रद्द हो जाती है. ऐसे मामलों में पहले लगभग 6 कार्रवाई हो चुकी हैं. आजम खान, कुलदीप सिंह सिंगर और कुछ अन्य नेताओं के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई हो चुकी है. ऐसे में अगर नियमों को देखा जाए तो अब्दुल्ला आजम भी इसी दायरे में आ रहे थे. ऐसे में उनके खिलाफ भी कार्रवाई की गई. बता दें, रामपुर से भाजपा विधायक आकाश सक्सेना किसी कीमत पर अपने प्रतिद्वंद्वियों को ढील देने के मूड में नहीं हैं.
गौरतलब है कि आजम खान की पहली लोकसभा चुनाव लड़े थे. उन्होंने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की थी, मगर विधानसभा चुनाव में जीत के बाद उन्होंने लोकसभा सीट छोड़ दी थी. रामपुर की लोकसभा सीट पर जब चुनाव हुआ तो यह सीट समाजवादी पार्टी हार गई. जिसके बाद में रामपुर से आजम खान की सदस्यता चली गई. यहां दोबारा चुनाव हुआ और आकाश आनंद ने जीत हासिल कर ली. ऐसे में अब रामपुर अब्दुल्ला आजम की सीट भी रिक्त हो सकती है. यूपी समाजवादी पार्टी के लिए बड़ा झटका होगा.
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