लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के अवध क्षेत्र में मीडिया प्रभारी खुर्शीद आलम 18 जिलों में युवा मोर्चा के मीडिया संबंधित कामों को देखते हैं. युवा कार्यकर्ता हैं और भाजपा में उनको एक बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. इस जिम्मेदारी को देखते हुए खुर्शीद आलम खुद कहते हैं कि भाजपा का मुसलमानों से अब कोई दुराव नहीं है. हम पार्टी के नजदीक हैं और लगातार मुसलमान भाजपा से जुड़ रहे हैं. विधानसभा चुनाव 2022 में निश्चित तौर पर मुसलमान भी भाजपा को वोट देंगे. खुर्शीद आलम तो बस एक नजीर हैं ऐसे ही हजारों और कार्यकर्ता जो कि मुसलमान होने के बावजूद भाजपा से जुड़े हुए हैं. यह पार्टी की बदलती हुई तस्वीर है.
उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में मुसलमानों की संख्या पिछले 4 साल में चौगुनी हो चुकी हैं. भारतीय जनता पार्टी का दावा है कि इस वक्त अल्पसंख्यक मोर्चा में करीब 40000 सदस्य हैं. इनमें से अधिकांश मुसलमान हैं. भाजपा को उम्मीद है कि इस चुनाव में भी उनको अपनी जन कल्याणकारी योजनाओं और तीन तलाक जैसे मुद्दे पर खासतौर पर मुस्लिम महिलाओं के वोट मिल सकते हैं. भाजपा ने मुस्लिम ग्राम प्रधानों को जबरदस्त मदद करते हुए मुस्लिम बाहुल्य गांवों में बहुत सारे काम करवाए हैं. इस वजह से भाजपा को उम्मीद है कि मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में 10 फीसदी तक मुस्लिम वोट उनको मिल सकता है. अगर 10 फीसदी मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण किसी कारण से भाजपा की ओर होता है तो निश्चित तौर पर भाजपा को काफी लाभ मिलने की उम्मीद है.
भारतीय जनता पार्टी अपने हिंदुत्ववादी एजेंडो को लेकर आमतौर से मुस्लिमों के बीच में अछूत ही रही है. लगातार मुसलमान आरएसएस से भाजपा की नजदीक देखते हुए पार्टी से अपनी दूरी बनाए रखे हैं. यह बात दीगर है कि नजमा हेपतुल्ला, सैयद शाहनवाज हुसैन, मुख्तार अब्बास नकवी जैसे पुराने भाजपा नेताओं ने भाजपा में मुसलमानों को एक स्थान जरूर दिया है. 2017 में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार उत्तर प्रदेश में बनी तब भी भाजपा ने एक भी मुसलमान प्रत्याशी को नहीं उतारा था. मगर चुनाव समाप्त होने के बाद जब सरकार बनी तो भाजपा ने अपने उस समय के प्रवक्ता मोहसिन रजा को राज्यमंत्री का दर्जा दिया और उनको एमएलसी भी बनाया. मोहसिन रजा अब भी मंत्री हैं.
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