हैदराबादःउत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) के लिए भले ही अभी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन राजनीतिक पार्टियों ने अपनी ताकत झोंक दी है. सत्ता पक्ष और विपक्ष पूरी ताकत के साथ 2022 में यूपी का ताज हासिल करने में जुट गये हैं. जहां समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बसपा समेत अन्य दल भाजपा की नाकामियों को उजागर करते हुए जनता से 2022 में एक बार सेवा का अवसर देने की अपील कर रही हैं.
वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित भाजपा के नेता से लेकर कार्यकर्ता अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनवा रहे हैं. सीएम योगी भाजपा के कार्यकाल में अपराध मुक्त और सुशासन युक्त सरकार का दावा कर रहे हैं. लेकिन, आंकड़े कुछ और ही हकीकत बयां करते हैं. चुनाव नजदीक होने के बावजूद यूपी पुलिस (UP Police) ऐसे कारनामे कर रही है, जिससे भाजपा सरकार की किरकिरी हो रही है. ऐसे में 2022 के चुनाव में खाकी के दाग कहीं योगी और भाजपा के लिए गले की फांस न बन जाएं. आइए जानते हैं कि यूपी पुलिस के कौन-कौन से कारनामे चर्चा के विषय बने और योगी सरकार की किरकिरी कराई.
बैंक कर्मचारी की आत्महत्या में पुलिस की संलिप्तता
सबसे पहले हम ताजा मामला श्रद्धा गुप्ता का ही लेते हैं. 30 अक्टूबर को रामनगरी अयोध्या में एक महिला बैंककर्मी ने आत्महत्या कर ली और सुसाइड नोट में जिसे जिम्मेदार ठहराया वो नाम देखकर हर कोई चौंक गया. इस मामले में आईपीएस आशीष तिवारी, विवेक गुप्ता और एक अन्य पुलिसकर्मी अनिल रावत के खिलाफ हत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. इस मामले को लेकर अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार के कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं. इस मामले में भी खाकी कहीं न कहीं प्रदेश सरकार के दामन पर दाग लगा रही है. अब हम बात करते हैं कुछ पुराने ऐसे चर्चित मामलों की जिसने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा था और इससे योगी सरकार की जमकर फजीहत हुई थी.
हाथरस कांड
यूपी के हाथरस जिले में 14 सितंबर 2020 को युवती के साथ दरिंदगी हुई थी. 29 सितंबर को इलाज के दौरान उसकी दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई थी. पुलिस और जिला प्रशासन ने आनन-फानन में उसका अंतिम संस्कार देर रात करा दिया था, जिसे लेकर खूब बवाल हुआ था. विपक्षी पार्टियों ने इसे मुद्दा बनाया था और यहां आए दिन लोगों की पुलिस से भिड़ंत होती रहती थी. सभी राजनीतिक दलों ने इस मामले को लेकर योगी सरकार को जमकर घेरते हुए पुलिस-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे. इस केस को लेकर बाद प्रदेश की भाजपा सरकार की जमकर किरकिरी हुई थी. अब हाथरस कांड को विपक्षी दल अपने मुद्दे में शामिल कर जनता को बताते हुए भाजपा सरकार में कानून व्यवस्था को ध्वस्त बता रहे हैं.
मनीष गुप्ता हत्याकांड
वहीं, जब सभी राजनीतिक दल भाजपा सरकार को घेरते हुए 2022 के लिए मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे थे, इसी बीच गोरखपुर में 27 सितंबर को पुलिस की पिटाई से कानपुर व्यापारी मनीष गुप्ता की मौत होने का आरोप लगा. इस मामले में जमकर हंगामा हुआ, यहां तक कि सीएम योगी के आदेश के 24 घंटे बाद मुकदमा दर्ज किया जा सका. मनीष गुप्ता की मौत के बाद जहां योगी सरकार ने उनकी पत्नी को नौकरी देकर और पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज करवाकर अपनी छवि सुधारने की कोशिश की. वहीं, सपा और कांग्रेस ने मनीष गुप्ता की मौत सियासी फायदा उठाते हुए यूपी से भाजपा सरकार में का सफाया करने की अपील जनता से कर रही है. यह मामला अभी थमा नहीं था कि गोरखपुर में रेहड़ी संचालक की मनीष प्रजापति की दबंगों ने हत्या कर दी. इस मामले ने मनीष गुप्ता हत्याकांड को और हवा दे दी.