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उपचुनाव परिणाम के परिणाम ने सरकार और संगठन को दिया सबक और संदेश

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Published : Oct 25, 2019, 10:57 PM IST

उत्तर प्रदेश के उपचुनाव के परिणाम आ चुके हैं. इस उपचुनाव में भाजपा ने एक सीट गवा दी है. एक तरफ भाजपा अपनी जीत में खुश भी है, वहीं जो सीट वह हार गई है उसपर विचार कर रणनीति बनाने का भी सोच रही है.

उपचुनाव के परिणाम ने मिला सरकार को सबक.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों के उपचुनाव परिणाम बीजेपी नेतृत्व और योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए बड़ा सबक और संदेश दे गया है. बीजेपी नेतृत्व और योगी सरकार ने दावा किया था कि यूपी की सभी 11 सीटों पर कमल खिलेगा क्योंकि ढाई साल की सरकार के कामकाज के बाद यह चुनाव हो रहे हैं. सरकार ने इन ढाई वर्षों में जहां जनकल्याणकारी योजनाओं से लोगों को लाभान्वित किया है, जिसके चलते सरकार की नीतियों पर जनता उपचुनाव के माध्यम से अपनी मुहर लगाई.

वहीं भारतीय जनता पार्टी के संगठन की तरफ से बूथ स्तर पर किलेबंदी करके यह दावा किया गया था कि संगठन तंत्र पूरी तरह से बूथ स्तर तक मजबूत है और इसका फायदा उपचुनाव में पार्टी को जरूर मिलेगा. उपचुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने काफी पहले से अपनी चुनावी तैयारियां शुरू कर दी थी. सरकार और संगठन के स्तर पर तमाम तरह के काम किए गए थे और योगी सरकार के मंत्रियों को उपचुनाव वाले क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई थी. वहीं बीजेपी संगठन के महत्वपूर्ण पदाधिकारियों को भी चुनाव क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई थी. बावजूद इसके भारतीय जनता पार्टी एक सीट अपनी जीती हुई हार गई.

उपचुनाव के परिणाम ने मिला सरकार को सबक.

भाजपा ने गंवा दी एक सीट
2017 के चुनाव में जिन 9 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने अपनी जीत दर्ज की थी, उनमें से एक सीट बाराबंकी की जैदपुर बीजेपी ने उपचुनाव में गंवा दी है. हालांकि यह भारतीय जनता पार्टी के लिए और घातक हो सकती थी. अगर समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस पार्टी की तरफ से उपचुनाव को गंभीरता से लिया जाता और अधिक उपचुनाव के प्रचार में तवज्जो दी जाती तो शायद नतीजा कुछ और भी हो सकता था. यही नहीं अखिलेश यादव अगर रामपुर सीट के अलावा किसी अन्य सीट पर चुनाव प्रचार के लिए गए होते तो भारतीय जनता पार्टी के लिए और चौंकाने वाले परिणाम मिल सकते थे. विपक्ष की तरफ से ढील ने बीजेपी को जरूर कुछ राहत दी है.

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तैयार करनी होगा नई रणनीति
चौंकाने वाली बात यह है कि 2022 के विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इन चुनाव परिणामों ने बीजेपी नेतृत्व और सरकार के लिए बड़ी चिंता और सोचने को मजबूर कर दिया है. बीजेपी नेतृत्व को अब गंभीरता से चिंतन मनन करना होगा और कहां क्या कमियां है, किस स्तर पर कमियां रह गई हैं, उसको कैसे दूर करना है, कार्यकर्ताओं को कैसे संतुष्ट करना है, उसको लेकर अपनी नई तरीके से रणनीति बनानी होगी.

बीजेपी नेतृत्व और योगी सरकार के स्तर पर तमाम तरह के अन्य काम करने होंगे, जिससे जनता के बीच सरकार और संगठन की पकड़ होगी. कार्यकर्ताओं के कामकाज को लेकर जनता जो असंतोष है उसे भी दूर करने को लेकर संगठन और सरकार के स्तर पर तमाम तरह के काम करते हुए रणनीति बनानी होगी. इससे बीजेपी को 2022 के विधानसभा चुनाव में लाभ मिल सकेगा.

भारतीय जनता पार्टी ने अच्छी सफलता पाई
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता, संजय राय ने बताया कि उत्तर प्रदेश के उप चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अच्छी सफलता पाई है. एक सीट जो हमारी थी हमने उसे लूज की है. उस पर पार्टी गंभीरता से विचार कर रही है कि कहां क्या कमी रह गई है, क्या कारण था, जिससे हम सीट हार गए, लेकिन प्रदेश सरकार ने जो योजनाएं शुरू की थी सभी योजनाएं का क्रियान्वयन प्रारंभ हो गया है. उसका प्रॉपर रिजल्ट कुछ योजनाओं का आ गया है तो कुछ का आना अभी बाकी है. मुझे लगता है कि 6 महीने में सभी योजनाओं का अधिक से अधिक रिजल्ट मिलेगा और हर तरफ प्रदेश की जनता उसे लाभान्वित होगी और इसलिए 2022 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन और बेहतर होगा 2017 से भी अधिक सीटों से भारतीय जनता पार्टी सरकार बनाएगी.

बीजेपी उपचुनाव में कई बार सीटें जीतती है, कई बार हारती है. बीजेपी ने उपचुनाव में पहले कराना फूलपुर जैसी सीटें हुई थी. उसके बाद जब 2019 के लोकसभा चुनाव हुए तो हमारी बंपर जीत हुई थी. यह सबको पता है कि उपचुनाव में न सरकार बनती है और न बिगड़ती है. कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है, फिर भी भारतीय जनता पार्टी ने उपचुनाव में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है. आगे आने वाले समय में भी हम और अच्छा बेहतर करेंगे और उसको लेकर रणनीति तैयार करेंगे.
-जेपीएस राठौर, प्रदेश उपाध्यक्ष, यूपी भाजपा

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