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घोड़े के समान होती है ब्यूरोक्रेसी, सवार ही उचित दिशा देता है: गोरधन झपाड़िया

भाजपा नेता गोरधन झपाड़िया ने ब्यूरोक्रेसी को ऐसा अड़ियल घोड़ा बताया जो सुधरने को तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि सवार को ही उसकी लगाम कसनी पड़ती है.

गोरधन झपाड़िया, बीजेपी नेता

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Published : Mar 12, 2019, 12:08 AM IST

लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी के नेता और उत्तर प्रदेश के सह चुनाव प्रभारी गोरधन झपाड़िया ने सरकारों की तुलना राजा भर्तृहरि के नाटक से करते हुए कहा कि जैसे नाटक तीन घंटे का होता है वैसे ही सरकारों की उम्र पांच से 10 साल या अधिकतम 15 साल की होती है.

भाजपा नेता गोरधन झपाड़िया ने सोमवार की शाम गोमती नगर स्थित अंतरराष्ट्रीय बौद्ध अध्ययन संस्थान के सभागार में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पर केंद्रित पुस्तक 'केशव की विकास दृष्टि' का लोकार्पण किया. इस मौके पर अपने संबोधन में उन्होंने सरकार के बजाय व्यवस्था परिवर्तन का समर्थन किया.

कार्यक्रम को संबोधित करते बीजेपी नेता गोरधन झपाड़िया

उन्होंने ब्यूरोक्रेसी को ऐसा अड़ियल घोड़ा बताया जो सुधरने को तैयार नहीं है . सवार को ही उसकी लगाम कसनी पड़ती है. ब्यूरोक्रेसी को स्वतंत्र छोड़ना उचित नहीं है. ब्यूरोक्रेसी को अगर विवेक से फैसले लेने का अवसर दिया गया तो भ्रष्टाचार जरूर होगा. उस पर हमेशा एक तलवार लटकनी चाहिए.

गोरधन झपाड़िया ने कहा कि ब्यूरोक्रेसी एक घोड़े के समान होती है जो खुद सुधारने को तैयार नहीं है उस पर जो सवार होता है वही उसे दिशा देता है. उन्होंने कहा कि इसलिए एक जवाबदेह जिम्मेदार सिस्टम देने की जरूरत है. यह सब कुछ मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति से ही संभव है.

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