हैदराबाद.उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) में ब्राह्मण भले ही राजनीति के केंद्र में हों, लेकिन भाजपा ने बौद्ध वोटबैंक (Buddhist vote bank) पर भी डोरे डाल दिए हैं. भगवान गौतम बुद्ध (Lord Gautam Buddha) की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर (Kushinagar) में बने इंटरनेशनल एयरपोर्ट को इसी नजरिए से देखा जा रहा है. दरअसल, वर्ष 2022 में यूपी में विधानसभा चुनाव है और भाजपा इस कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Kushinagar International Airport) से चुनावी उड़ान भरने की पूरी तैयारी कर चुकी है. यहां से बौद्ध धर्म के अनुयायी वोटर्स पर डोरे तो भाजपा (BJP) डाल ही रही है, पूर्वांचल के वोटबैंक को भी रिझाने की भी पूरी तैयारी है.
आंकड़े बताते हैं कि बीते 10 वर्षों में उत्तर प्रदेश में बौद्ध अनुयायियों की संख्या 2,06,285 से बढ़कर करीब 25 लाख पहुंच गई है. इतने बड़े वोटबैंक को भाजपा किसी भी स्थिति में उपेक्षित नहीं छोड़ सकती है, वह भी जब केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार है. हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं कि इस पहल से भाजपा को भले ही राजनीतिक तौर पर फायदा हो सकता है, लेकिन बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के कोर वोटबैंक को कमजोर करना फिर भी आसान नहीं होगा. क्योंकि वर्ष 2012 और 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में मायावती की पार्टी बसपा भले ही सत्ता से बाहर रही, लेकिन उसके वोटबैंक में कोई कमी नहीं आई.
वहीं भाजपा वर्ष 2016 की तरह इस बार भी बौद्ध वोटर्स को जोड़ने के लिए हरसंभव रणनीति बनाने में जुटी हुई है. दरअसल, 24 अप्रैल 2016 को तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सारनाथ से धम्म चेतना यात्रा को हरी झंडी दिखाई थी. यह धम्म चेतना यात्रा यूपी के 300 विधानसभा क्षेत्रों से होकर लखनऊ पहुंची थी. हालांकि, इस पर सियासत खूब गरमाई थी.
बताया जाता है कि यूपी में दलित और ओबीसी (OBC) की मौर्य और पाल जैसी जाति के लोगों ने बड़ी संख्या में बौद्ध धर्म अपनाया है और इस धर्म को मानने वाले लोग बसपा (BSP) के कोर वोटर माने जाते हैं. बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर की वजह से मायावती (Mayawati) हमेशा से बौद्ध धर्म को अहमियत देती रही हैं. यही वजह है कि इस एयरपोर्ट को बसपा के कोर वोटर माने जाने वाले बौद्ध वोटर्स को साधने वाला भाजपा का बड़ा दांव माना जा रहा है. पूर्वांचल के कुशीनगर, कौशांबी, देवरिया और संत कबीरनगर समेत अनेक जिलों में बड़ी संख्या में बौद्ध धर्म के अनुयायी रहते हैं. वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश इलाके के गौतमबुद्धनगर, मेरठ और सहारनपुर समेत आसपास के जिलों में बड़ी संख्या में दलितों ने बौद्ध धर्म को अपनाया है. वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में एक लाख 37 हजार 267 दलितों ने बौद्ध धर्म अपनाया था. ऐसे लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है.