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इंडियन पैलियो बॉटनी के जनक माने जाते हैं प्रो. बीरबल साहनी - lucknow hindi news

बीरबल साहनी को भारतीय पुरावनस्पति विज्ञान यानी इंडियन पैलियो बॉटनी का जनक माना जाता है. प्रो. साहनी ने भारत में पौधों की उत्पत्ति तथा पौधों के जीवाश्म पर महत्त्वपूर्ण शोध किए.

बीरबल साहनी पुरा विज्ञान संस्थान
बीरबल साहनी पुरा विज्ञान संस्थान

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Published : Nov 28, 2020, 11:02 AM IST

Updated : Nov 28, 2020, 4:50 PM IST

लखनऊ:लाखों-करोड़ों वर्ष पुरानी वनस्पतियों की संरचना और उनको समझने के लिए पुरावनस्पति विज्ञान (Paleobotany) की भूमिका बेहद अहम मानी जाती है. भारत में जब भी पुरावनस्पति विज्ञान की बात होती है, तो प्रो. बीरबल साहनी का नाम सबसे पहले लिया जाता है. बीरबल साहनी को भारतीय पुरावनस्पति विज्ञान यानी इंडियन पैलियो बॉटनी का जनक माना जाता है. लखनऊ में बीरबल सहनी पुराविज्ञान संस्थान की नींव उन्होंने ही रखी थी.

पुरा विज्ञान संस्थान
कैम्ब्रिज से ली उच्च शिक्षा

बीरबल साहनी का जन्म 1891 को पश्चिमी पंजाब के शाहपुर जिले के भेड़ा में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है. लाहौर से प्रारंभिक शिक्षा के बाद बीरबल साहनी उच्च शिक्षा के लिए कैम्ब्रिज चले गए. वहां उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान का अध्ययन किया. साहनी के कार्यों के महत्व को देखते हुए वर्ष 1936 में उन्हें लंदन की रॉयल सोसाइटी का सदस्य चुना गया. भारत लौट आने पर यह पहले बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान के प्राध्यापक नियुक्त हुए.

बीरबल साहनी संस्थान का नेहरू ने किया उद्घाटन

लखनऊ के बीरबल साहनी पैलियो बॉटनी संस्थान की नींव उन्होंने ही रखी थी. इस संस्थान का उद्घाटन भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने वर्ष 1949 में किया था. बीरबल साहनी केवल वैज्ञानिक नहीं थे, बल्कि चित्रकला और संगीत के भी प्रेमी थे. भारतीय विज्ञान कांग्रेस ने उनके सम्मान में 'बीरबल साहनी पदक' की स्थापना की है, जो भारत के सर्वश्रेष्ठ वनस्पति वैज्ञानिक को दिया जाता है.

पुरा विज्ञान संस्थान
पुरातत्व विज्ञान में भी गहरी रुचि

प्रो. सहानी ने भारत में पौधों की उत्पत्ति व पौधों के जीवाश्म पर महत्वपूर्ण शोध किए हैं. पौधों के जीवाश्म पर उनके शोध मुख्य रूप से जीव विज्ञान की विभिन्न शाखाओं पर आधारित थे. उनकी पुरातत्व विज्ञान में भी गहरी रुचि थी. हड़प्पा, मोहनजोदड़ो और सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में अनेक निष्कर्ष निकाले, जो कि लखनऊ के बीरबल सहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियो बॉटनी संग्रहालय में देखने को मिलते हैं. लखनऊ में इंस्टीट्यूट के उद्घाटन के बाद जल्द ही उनकी मृत्यु हो गई. आज भी साहनी कक्ष में उनकी मेज, फोन समेत अन्य चीजें रखी हुई है.

Last Updated : Nov 28, 2020, 4:50 PM IST

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