लखनऊ: डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय से संबद्ध लखनऊ के स्कूल मैनेजमेंट साइंस के तकनीकी महानिदेशक प्रोफेसर भरत राज सिंह ने लगभग 10 साल पहले एक ऐसे इंजन का आविष्कार किया था, जो हवा से चलता है. भारत में इस इंजन को इस साल जुलाई महीने में पेटेंट का प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया है. प्रोफेसर भरत राज सिंह ने जो अविष्कार किया है, यह एक ऐसा आविष्कार है जो दुनिया में आज तक कोई भी वैज्ञानिक नहीं कर पाया है. इस अविष्कार से जल्द ही लोग हवा से सड़क पर गाड़ियां दौड़ा सकेंगे.
प्रोफेसर भरत राज सिंह ने लगभग 10 साल पहले एक ऐसे इंजन का आविष्कार किया था, जो हवा से चलता है. भारत सरकार ने इस इंजन को इसी साल जुलाई महीने में पेटेंट का प्रमाण पत्र भी जारी किया है. प्रोफेसर भरत राज सिंह ने बताया कि कई वर्षों से इंजन का तकनीकी परीक्षण लगातार हो रहा था. उनका यह प्रयोग पूरी तरह से सफल रहा है. उन्होंने बताया कि इस इंजन से धुंआ नहीं निकलता है, जिससे पर्यावरण सुरक्षित रहेगा. क्योंकि यह इंजन हवा के दबाव पर चलता है और फिरकी के सिद्धांत पर काम करता है. ऐसे में इसे बैन टाइप रोटरी इंजन से पेटेंट कराया है, लेकिन इसका सिद्धांत एयर जीरो साइकिल पर मेरे द्वारा विश्व में पहली बार हुआ. अमेरिका ने इसका नाम एयरो साइकिल रखा. इसके बाद मैंने बाइक पर इंजन रखने के उपरांत मोटरसाइकिल का नाम एयर-ओ-बाइक रखा है. इसका ट्रेडमार्क ब्रदर रखा है, जो भारतीयता का परिचायक है और वह मेरे गाइड का सूक्ष्म नाम भी है.
12.25 पैसे प्रति किलोमीटर का आएगा खर्च
प्रो. भरत राज सिंह ने बताया कि जब यह मोटर बाइक बाजार में आएगी तो इसके 2 सिलेंडर में एक बार में 5 रुपये की हवा भराने से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी तय की जा सकेगी. वाहन की गति लगभग 70 से 80 किलोमीटर प्रति घंटा होगी. खर्च की बात करें तो लगभग 12.25 पैसे प्रति किलोमीटर का खर्च आएगा. यानी करीब 62 से 65 रुपये में दो आदमी लखनऊ से दिल्ली तक का सफर कर सकते हैं. प्रोफेसर भरत सिंह ने बताया कि साल 1995 में दुनिया में वैश्विक तापमान में वृद्धि अर्थात ग्लोबल वार्मिंग पर चर्चा हो रही थी कि धरती का तापमान बढ़ रहा है. इसे रोकने के लिए कुछ किया जाना चाहिए. मुझे भी किसी नई चीज को जानने की अधिक जिज्ञासा रहती थी तो मैंने भी इसके कारण जो जानने में समय दिया.
1998 से 2002 तक का डाटा एकत्र किया
उन्होंने बताया कि जब उन्होंने 1998 से 2002 तक का डाटा एकत्र किया और देखा कि ग्लोबल वॉर्मिंग में वाहनों का योगदान 34 से 35 प्रतिशत था और अन्य उद्योगों का योगदान 36 से 37 प्रशिशत था. यांत्रिक अभियंत्रण क्षेत्र का होने के नाते मैंने वाहनों पर अधिक डाटा एकत्र करना प्रारंभ किया. इस दौरान मुझे और चौंकाने वाला आंकड़ा मिला कि प्रदूषण में दो पहिया वाहनों का 85% से 87% योगदान है. बाकी ट्रक, बस, लारी, रेल, वायु यान आदि मात्र 13% से 15% हैं. इसके बाद मुझे वर्ष 2003 में दो पहिया वाहन के लिए नई तकनीकी का इंजन बनाने का विचार उत्पन्न हुआ.