लखनऊ:बिजली चोरों पर नकेल कसने के लिए और बिजली विभाग के इंजीनियरों की सिविल थानों पर सुनवाई न होने की शिकायत दूर करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 2019 में प्रदेश के हर जिले में बिजली थाने खोलने की शुरुआत की थी. प्रयागराज के नैनी में पहला बिजली थाना 1 अगस्त 2019 को खोला गया था. इसके बाद धीरे-धीरे अन्य जिलों में थाने खोलने की शुरुआत की गई. लखनऊ में भी एक सितंबर 2019 को लोकभवन के पीछे दारुलशफा में एंटी पावर थेफ्ट थाना स्थापित किया गया. इस थाने के स्थापित होने के बाद बिजली विभाग के इंजीनियरों को चेकिंग अभियान के दौरान होने वाली दिक्कतों से निजात मिल गई है. एक साल से ज्यादा समय में इस थाने पर हजारों बिजली चोरी के मुकदमें दर्ज हो चुके हैं. प्रदेश के विभिन्न जिलों में स्थापित थानों की संख्या में दर्ज मुकदमों की संख्या को मिला लिया जाए तो यह संख्या तीन लाख से ऊपर पहुंच चुकी है.
सिद्धार्थनगर में स्थापित हुआ आखिरी थाना
1 अगस्त 2019 को पावर कारपोरेशन ने पहले एंटी पावर थेफ्ट थाने की स्थापना की थी. उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में प्रदेश का आखिरी थाना 2 अक्टूबर 2020 को स्थापित कर दिया गया है. अब प्रदेश के सभी 75 जिलों में बिजली चोरों पर नकेल कसने के लिए एंटी पावर थेफ्ट थाने स्थापित हो गए हैं. सभी थानों को स्टाफ पर उपलब्ध करा दिया गया है. अब बिजली विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर बिजली चोरी अभियान चलाने के लिए पुलिस बल मौजूद रहता है. एंटी पावर थेफ्ट थाना पर बिजली चोरों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जा रही है. 1 सितंबर 2019 को लखनऊ में स्थापित हुए एंटी पावर थेफ्ट थाने पर हर रोज बिजली चोरी की एफआईआर दर्ज हो रही है.
इतने अधिकारियों की होती है तैनाती
उत्तर प्रदेश के महानगरों और छोटे संवेदनशील जिलों को ध्यान में रखते हुए यहां पर पुलिस अफसरों और पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद, मेरठ, बनारस और आगरा जैसे क्षेत्रों में एंटी पावर थेफ्ट थाने पर एक प्रभारी निरीक्षक, चार उपनिरीक्षक, चार हेड कांस्टेबल, चार कांस्टेबल और दो ऑपरेटर तैनात किए गए हैं. इसी तरह छोटे जिलों में भी कम संख्या में पुलिस अफसरों की तैनाती की गई है.