लखनऊ: नवाबों की नगरी कहे जाने वाले शहर-ए-लखनऊ में यूं तो एक से एक नायाब इमारतें हैं, जो किसी को भी आश्चर्य और कौतूहल से भर सकती हैं. हालांकि भूलभुलैया, इमामबाड़ों और तालाबों के लिए दुनियाभर में मशहूर इस शहर के घंटाघर की विशेषताओं के विषय में शायद कम ही लोगों को पता होगा. पुराने लखनऊ के हुसैनाबाद क्षेत्र में स्थित यह घंटाघर देश का सबसे ऊंचा घंटाघर है, जिसकी ऊंचाई 221 फीट है. इसे देखने वाले आश्चर्य से भर जाते हैं कि आखिर सवा सौ साल पहले संसाधनों के अभाव में इतनी ऊंची इमारत भला कैसे बनाई गई होगी.
नवाबी विरासतों के बीच अंग्रेजों ने कराया था निर्माण
इतिहासकार बताते हैं कि इस घंटाघर को ब्रिटिश वास्तु कला का सबसे बेहतरीन नमूना माना जाता है. इसका निर्माण तत्कालीन लेफ्टीनेंट गवर्नर सर जार्ज कूपर के सम्मान में 1882 से 1887 के बीच पांच साल में किया गया था. ईंटों और चूने से बनाई गई इस नायाब इमारत को अभियंता फ्रेडरिक विलियम्स स्टीवन्स की देख-रेख में बनाया गया था. 221 फीट ऊंचे इस घंटाघर के निर्माण पर उस समय 90 हजार रुपये खर्च किए गए थे. यह राशि हुसैनाबाद ट्रस्ट ने दी थी.
देश की सबसे बड़ी घड़ी सहेजे है यह घंटाघर
इस घंटाघर में लगी घड़ी का निर्माण ब्रिटेन की जे डब्ल्यू बेसन कंपनी ने किया था और दुनिया में इस तरह की महज तीन घड़ियां थीं. आज भी यह देश की सबसे बड़ी घड़ी मानी जाती है. छह फीट लंबी और तीन फीट चौड़ी इस घड़ी या मशीन का एक-एक गियर पचास-पचास किलो का है और इसे ब्रास और गन मेटल से बनाया गया था. उस वक्त इस घड़ी की कीमत 27 हजार रुपये थी. घड़ी में पांच घंटे लगे हैं.