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Smart Prepaid Meter टेंडर में हिस्सा लेने ही नहीं आए बड़े ग्रुप, बढ़ाई जा सकती है तिथि - प्रीपेड मीटर का टेंडर

मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में करीब पांच सौ करोड़ रुपए के प्रीपेड मीटर का टेंडर डालने कोई भी निजी कंपनी नहीं आई. सोमवार को टेंडर डालने की अंतिम तिथि थी.

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Published : Feb 28, 2023, 7:58 AM IST

Updated : Feb 28, 2023, 11:46 AM IST

लखनऊ : मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने चार फरवरी को स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर निरस्त कर दिया था. इसकी लागत लगभग 5400 करोड़ थी. न्यूनतम निविदादाता अडानी ग्रुप था, लेकिन उनकी दरें ऐस्टीमेटेड कॉस्ट 6000 रुपए प्रति मीटर से कहीं ज्यादा लगभग 10,000 रुपए प्रति मीटर थीं. इस वजह से उसे कैंसिल कर दिया गया था.


मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने टेंडर कैंसिल किए जाने के बाद फिर से टेंडर जारी किया था. 27 फरवरी को शाम पांच बजे तक टेंडर डालने की अंतिम तिथि थी, लेकिन देश का कोई निजी घराना टेंडर भरने आया ही नहीं. पूर्व में जिन निजी घरानों अडानी जीएमआर व एलएनटी सहित इनटेलीस्मार्ट ने टेंडर डाला था, उन कंपनियों ने भी अभी तक टेंडर नहीं डाला. अब मध्यांचल के पास टेंडर की तिथि को आगे बढ़ाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है.

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि टपूरे प्रदेश में चार क्लस्टर में निकाले गए लगभग 25000 करोड़ के टेंडर को जब तक निरस्त कर छोटे-छोटे क्लस्टर में नहीं निकाला जाएगा. दरें इसी तरह ज्यादा आएंगी. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि टेंडर न भरने की वजह से एक बात तो साफ हो गई है कि देश के सभी निजी घरानों ने एक कॉकस बना रखा है और वह अपने हिसाब से बिजली कंपनियों को चलाना चाहते हैं, वहीं दूसरी तरफ पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम जहां स्टीमेट कास्ट से लगभग 64 प्रतिशत न्यूनतम निविदा दाता जीएमआर का टेंडर है. दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में भी लगभग 64 प्रतिशत का न्यूनतम टेंडर है और लगभग 48 प्रतिशत अधिक इंटेलीस्मार्ट का टेंडर पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में है, उसे आज तक कैंसिल न किया जाना एक बडे़ जांच का विषय है. यह पता लगाने की जरूरत है कि किसके दिमाग में टेंडर को निरस्त करने से रोका जा रहा है. जिस के संबंध में उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में याचिका लगा दी. ये मांग उठाई कि मध्यांचल विद्युत वितरण निगम की तरह सभी ऊर्जा निगम के टेंडर निरस्त किए जाएं और फिर चार क्लस्टर के टेंडर को आठ या उससे ज्यादा क्लस्टर में निकाल कर फिर से टेंडर जारी किया जाए, जिससे देश प्रदेश की मीटर निर्माता कंपनियां भी टेंडर में भाग ले पाएं. बिजली की दरें कम आएं जिसका लाभ प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को मिले.'



उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि 'अभी तक भारत सरकार की गलत नीतियों के चलते स्मार्ट प्रीपेड के मीटर के टेंडर में कोई भी देश व प्रदेश की मीटर निर्माता कंपनियां भाग नहीं ले पाई हैं. उसका मुख्य कारण क्या है? टेंडर की लागत इतनी अधिक कर दी गई है कि उसकी वजह से उनकी पहुंच से बाहर हो गया है. टेंडर भी अपने आप में बडे़ जांच का मामला है.'

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Last Updated : Feb 28, 2023, 11:46 AM IST

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