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Published : Nov 17, 2019, 5:33 PM IST

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जीवन के 16 संस्कारों के इर्द-गिर्द है भोजपुरी लोक गायिकी: शैलेन्द्र मिश्र

पूर्वांचली लोक गायिकी और पूर्वांचली संस्कृति अपने सौंदर्य के कारण देश ही नहीं दुनिया भर में जानी जाती है. इस पर अश्लीलता में घिरे होने के आरोप लगते रहे हैं. वर्तमान समय में कुछ ऐसे गीतकार और गायक हैं, जो भोजपुरी लोक गायिकी को उसके मूल रूप में फिर से प्रसिद्ध करने में जुटे हुए हैं. इन्हीं में एक जाना पहचाना नाम है, शैलेंद्र मिश्र का.

भोजपुरी लोक गायक शैलेंद्र मिश्र.

नई दिल्ली:राजधानी में आयोजित पूर्वांचल सांस्कृतिक मेले में प्रस्तुति के लिए भोजपुरी लोक गायक शैलेंद्र मिश्र को भी आमंत्रित किया गया था. मंच से शैलेंद्र मिश्र की प्रस्तुति को तो दर्शकों ने सराहा ही, उनके कार्यक्रम की समाप्ति पर जिस तरह उनसे गीतों को लेकर फरमाइश थी, वह बताने के लिए काफी थी कि देश की राजधानी में भी पूर्वांचली संस्कृति और अश्लीलता मुक्त भोजपुरी गायकों और गीतों के कद्रदानों की कमी नहीं है.

भोजपुरी लोक गायक शैलेंद्र मिश्र.

दर्शकों का किया धन्यवाद
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए शैलेंद्र मिश्र ने इसके लिए दर्शकों का धन्यवाद किया. शैलेंद्र मिश्र ने नाम लिए बिना उन लोगों को निशाने पर लिया, जो लोक गायकी के नाम पर अश्लीलता परोस रहे हैं और इसे बढ़ावा दे रहे हैं.

फिल्मों को अश्लीलता से मुक्त रखेंगे
उन्होंने कहा कि अपने साथियों के साथ वे इसे लेकर भी काम कर रहे हैं कि भोजपुरी फिल्मों को भी अश्लीलता के दायरे से मुक्त किया जा सके. उन्होंने बताया कि संगीत निर्देशक के रूप में उनकी एक फिल्म आने वाली है, कोहबर. कोहबर एक फीचर फिल्म होगी. हालांकि उससे पहले शॉर्ट फिल्म के रूप में यह पहले ही खूब पसंद की जा चुकी है.

पूर्वांचली लोकगायिकी की महत्ता बताते हुए शैलेंद्र मिश्र ने कहा कि पूर्वांचली लोक गायिकी जीवन के 16 संस्कारों के इर्द-गिर्द है. हम जन्म के समय सोहर गाते हैं और जीवन के अंतिम समय में निर्गुण.

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