लखनऊ : पर्यावरण एवं पोषण की चुनौतियों को हल करने के उद्देश्य से ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय तथा एहसास फाउंडेशन के मध्य सोमवार को समझौता पर हस्ताक्षर किए गए. कुलपति प्रो. एनबी सिंह तथा संस्था की प्रतिनिधि अंकिता श्रीवास्तव की मौजूदगी में एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के महिला एवं पुरुष छात्रावास तथा परिसर में एहसास फाउंडेशन की ओर से विभिन्न फलदार पौधों का रोपण किया गया. इनमें नीबू, इमली, आंवला, अमरूद, कटहल, पपीता आदि के पौधे थे. पौधों की देखभाल विश्वविद्यालय एवं एहसास फ़ाउंडेशन मिलकर कर रहे हैं.
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पर्यावरण एवं पोषण की चुनौतियों (environmental and nutrition challenges) को हल करने के उद्देश्य से ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय तथा एहसास फाउंडेशन (Khwaja Moinuddin Chishti Bhasha University and Ehsaas Foundation) के मध्य सोमवार को समझौता पर हस्ताक्षर (sign the agreement) किए गए. कुलपति प्रो. एनबी सिंह तथा संस्था की प्रतिनिधि अंकिता श्रीवास्तव की मौजूदगी में एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए.
एमओयू के माध्यम से इन पौधों से होने वाली कुल पैदावार का 40 फीसदी हिस्सा विश्वविद्यालय एवं एहसास फ़ाउंडेशन (University and Ehsaas Foundation) की ओर से वंचित वर्ग को दिया जाएगा. संस्था द्वारा विश्वविद्यालय में लगाए गए पौधों की देखभाल करने के लिए विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों विशेषकर छात्रावास (Hostel) में रहने वाले छात्रों को विश्वविद्यालय एवं संस्था द्वारा इन पौधों को गोद लेने के लिए प्रोत्साहित (encourage the adoption of plants) किया गया.
अंकिता मिश्रा ने बताया कि संस्था की ओर से अतिवंचित वर्ग को पहचानने के लिए शहर के गोमतीनगर क्षेत्र में सर्वे किया जा रहा है. जिस सर्वे में विश्वविद्यालय के विद्यार्थी संस्था के साथ मिलकर शोध कार्य कर सकते हैं. इससे विद्यार्थियों को शोध के अनुभव के साथ-साथ इंटर्नशिप का सर्टिफिकेट (Certificate of Internship) भी दिया जाएगा. इस मौके पर ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए किए जा रहे विभिन्न प्रयासों को देखते हुए एहसास फाउंडेशन की ओर से विश्वविद्यालय को प्रशस्ति पत्र (citation to university) भी प्रदान किया गया.
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