लखनऊ : अगर बात आराम फरमाने की हो तो चारपाई के आगे महंगे से महंगा बेड भी धरा रह जाएगा. जो चारपाई भारतीयों लोगों के लिए आम है, उसे न्यूजीलैंड में इतने ऊंचे दाम में बेचा जा रहा है, जिसकी हम कभी कल्पना भी नहीं कर सकते. न्यूजीलैंड (New Zealand) की एक वेबसाइट पर चारपाई 41000 रुपए में बेची जा रही है. वहीं भारत में बढ़िया से बढ़िया चारपाई की कीमत 1 हजार तक हो सकती है.
क्या आपने कभी सोचा है की हमारे पूर्वजों ने खटिया ही क्यों बनाई सोने के लिए वो लड़की के तख्तों से बेड या खटिया भी बना सकते थे. जैसे की तख्तो के दरवाजे सबके यहां होते थे. तो आज हम आपको बताएगें खटिया पर सोने के फायदों के बारे में.
हमारे पूर्वज किसी वैज्ञानिक से कम नहीं
क्यों सोते थे खटिया पर
पहले सब लोग खटिया पर सोते थे, क्योकि पहले लोग काफी मेहनत करते थे और मेहनत के बाद अच्छी नींद बहुत जरूरी होती है. जो बेड में नहीं आ सकती क्योकि आपने महसूस किया होगा की कभी-कभी आप रात-रात भर करवटें बदलते रहते हैं और आपको नींद नहीं आती., जिससे आपकोबेचैनी, कमर दर्द, अनिद्रा की शिकायत हो जाती है, लेकिन खटिया पर सोने से ऐसा कुछ नहीं होता.
खटिया पर सोने से आपका शरीर शेप में रहता है. जिससे आपको सोने में कोई तकलीफ नहीं होती और आपको अच्छी नींद आती है.
आपने देखा होगा की खटिया पर जाली नुमा ढेर सारे छेद बने होते हैं, ऐसा आपने आरामदायक कुर्सी और पुराने पालने में भी देखा होगा. ये हमारे शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है. जिससे हमारे शरीर का रक्त संचार ठीक होता है.
जब हम सोते हैं तब माथा और पांव के मुकाबले पेट को अधिक खून की जरूरत होती है. क्योंकि रात हो या दोपहर लोग अक्सर खाने के बाद ही सोते हैं. उस समय पेट को पाचन क्रिया के लिए अधिक खून की जरूरत होती है. जो हमें खटिया पर सोने से मिलता है. बेड या तखत में सोने नहीं मिलता. इसलिए खटिया पर सोने की वजह से हमारा पाचन सही रहता है और हमें पेट सम्बन्धी कोई भी परेशानी नहीं होती.
दुनिया में जीतनी भी आराम कुर्सियां देख लो उसमें भी खटिया की तरह जोली बनाई जाती है. बच्चों का पूराना पालना सिर्फ कपडे की जोली का था, लकड़ी का सपाट बनाकर उसे भी बिगाड़ दिया है . खटिया पर सोने से कमर का दर्द और सांधे का दर्द नहीं होता है .
डबलबेड के नीचे अंधेरा होता है, उसमें रोगके किटाणु पनपते हैं, वजन में भारी होता है तो रोजरोज सफाई नहीं हो सकती . खटिया को रोज सुबह खडा कर दिया जाता है और सफाई भी हो जाती है, सुरज की धुप बहुत बढिया किटनाशक है, खटिए को धुप में रखने से खटमल इत्यादी भी नहीं पड़ते हैं .
किसानों के लिए खटिया बनाना बहुत सस्ता पड़ता है, मिस्त्री को थोडी मजरूरी ही देनी पडती है. कपास खूद का होता है तो खूद रस्सी बना लेते हैं और खटिया खूद बून लेते हैं .लकडी भी अपनी ही दे देते हैं . अन्य को लेना हो तो दो हजार से अधिक खर्च नहीं हो सकता. हां, कपास की रस्सी के बदले नारियल की रस्सी से काम चलाना पड़ेगा है .
आज की तारीख में कपास की रस्सी मेहंगी पड़ेगी. सस्ते प्लास्टिक की रस्सी और पट्टी आ गयी है, लेकिन वो सही नहीं है, असली मजा नहीं आएगा . दो हजार की खटिया के बदले हजारों रूपए की दवा और डॉक्टर का खर्च बचाया जा सकता है.
खटिया भी भले कोइ सायन्स नहीं हो, लेकिन एक समजदारी है कि कैसे शरीर को अधिक आराम मिल सके. खटिया बनाना एक कला है उसे रस्सी से बूनना पडता है और उस में दिमाग लगता है .
विदेशों में चला इंडियन खटिया का जादू
इंडियन खटिया को देश के वाशिंदों ने भले ही सिरे से नकार दिया हो. लेकिन विदेश में आजभारत की इस देशी खटिया सोशल मीडिया पर ट्रेंड हो रही है. यही नहीं देश के जिस कारीगर ने इस खटिया को बनाया होगा तब उन्होंने भी यह कतई नहीं सोचा होगा कि एक दिन ये विदेश में धूम मचाएगी और सोशल मीडिया में ट्रेंड करेगी.