लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने योजनाओं में हो रहे घोटालों को लेकर बड़ा फैसला लिया है. सरकार अब राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना और शादी अनुदान योजना की जांच सभी जिलों में की कराएगी. योगी आदित्यनाथ सरकार ने लखनऊ और कानपुर में बड़ी संख्या में मिली गड़बड़ियों के बाद सभी जिलों के जिलाधिकारियों को जांच के निर्देश दिए हैं. जांच रिपोर्ट आने के बाद घोटालेबाजों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है.
दरअसल, 'राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना' के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले परिवारों में अगर कमाने वाले मुखिया की मौत हो जाती है तो परिजनों को 30 हजार रुपये मिलते थे. इस योजना में लखनऊ व कानपुर में अपात्रों को योजना का लाभ दे दिया गया. लखनऊ में तो पति के जीवित रहते कई महिलाओं को इस योजना का लाभ दे दिया गया. इतना ही नहीं कानपुर जिले में कुछ लाभार्थी गरीबी रेखा से ऊपर हैं फिर भी उन्हें इस योजना का लाभ दे दिया गया.
इसी प्रकार गरीब कन्याओं की शादी के लिए 'शादी अनुदान योजना' के तहत 20 हजार रुपये का अनुदान मिलता है. इसमें भी जिन अभिभावकों की बेटियां ही नहीं हैं, उन्हें भी शादी अनुदान योजना का लाभ दिया गया. कानपुर व लखनऊ दोनों ही जिलों में इस तरह के प्रकरण सामने आने के बाद अब समाज कल्याण निदेशालय ने सभी जिलाधिकारियों को जांच कराने के निर्देश जारी कर दिए हैं.
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समाज कल्याण निदेशालय में करीब 20 साल से मृतक आश्रित कोटे में नौकरी कर रहे दो कर्मचारियों को उत्तर प्रदेश सरकार ने बर्खास्त कर दिया है. दोनों की ही नियुक्ति अवैध तरीके से हुई थी. इनमें प्रदीप कुमार व संजय सिंह यादव शामिल हैं. प्रदीप के माता-पिता दोनों समाज कल्याण विभाग में थे. माता के निधन के बाद प्रदीप को मृतक आश्रित कोटे में नौकरी मिल गई. संजय को समाज कल्याण विभाग में तैनात उनके पिता के निधन के बाद नौकरी मिली थी. जब उन्हें नौकरी मिली तो उनकी मां सरकारी सेवा में थीं. मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति के नियमों में अगर माता-पिता दोनों सरकारी सेवा में हैं तो उनमें से किसी एक की मृत्यु होने पर मृतक आश्रित कोटे का लाभ नहीं मिल सकता है.