लखनऊ: राज्य में कोरोना का प्रकोप कम हो गया है. ऐसे में सामान्य चिकित्सकीय सेवाओं के बहाली के आदेश हो चुके हैं. बावजूद इसके इलाज की व्यवस्था पटरी पर नहीं आ सकी है. स्थिति यह है कि अस्पतालों में बेड खाली हैं, लेकिन गंभीर मरीज भटकने को मजबूर हैं. वहीं सरकार ने अभी तक खाली पड़े कोविड अस्पतालों को नॉन कोविड घोषित करने की जहमति नहीं उठाई.
प्रदेश में 23-24 मार्च से अस्पतालों की ओपीडी सेवाएं बंद कर दी गई थीं. साथ ही बड़े चिकित्सा संस्थानों से लेकर जिला अस्पतालों तक रूटीन सर्जरी बंद रहीं. इस दौरान लाखों ऑपरेशन टल गए. साथ ही तमाम मरीज ओपीडी में नहीं दिखा सके. अब कोरोना का प्रकोप कम हुआ. दो जून से ओपीडी-रूटीन सर्जरी शुरू करने के आदेश दिये गए हैं, लेकिन इनमें भी कई शर्तें लगा दी गईं. स्वास्थ्य विभाग ने अभी नेत्र रोग, ईएनटी व जनरल सर्जरी के ही ऑपरेशन की छूट दी है. वहीं अन्य बीमारी के मरीज भटक रहे हैं. यह हाल तब है जब अस्पतालों में हजारों बेड खाली हैं. ऐसे में यदि खाली पड़े कोविड अस्पतालों को नॉन कोविड कर दिया जाए तो मरीजों को राहत मिल सके.
सवा लाख रिजर्व बेड, आठ हजार मरीज भर्ती
प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा विभाग के मेडिकल कॉलेज में 12 हजार के बेड आरक्षित हैं. वहीं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के अस्पतालों में 80 हजार के करीब बेड हैं. वहीं सरकारी व निजी अस्पताल मिलाकर सवा लाख से अधिक बेड कोविड के लिए रिजर्व हैं. इनमें 80 हजार ऑक्सीजन बेड हैं. यहां सिर्फ कोरोना के आठ हजार ही मरीज भर्ती हैं. ऐसे में सरकारी-निजी अस्पतालों में हजारों बेड खाली हैं. कई अस्पतालों में 7 से 10 दिन में एक भी मरीज भर्ती नहीं हुआ. यहां तैनात स्टाफ का भी नुकसान हो रहा है. वहीं गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीज इलाज के लिए भटक रहे हैं. उनके महीनों से ऑपरेशन तक नहीं हो पा रहे हैं.