लखनऊ: लॉकडाउन की वजह से कई कार्यालयों और व्यापार को बंद कर दिया गया है. इनमें ऐसे उद्योग और व्यापार बंद कर दिए गए हैं, जो लोगों की रोजी-रोटी का जरिया थे. इन्हीं में से एक ब्यूटी सैलून और ब्यूटी पार्लर की महिलाएं हैं, जिन्हें लॉकडाउन के बाद अपना घर चलाना मुश्किल सा लग रहा है.
वेतन देने में हो रही दिक्कत लॉकडाउन में ब्यूटी पार्लर में काम करने वाली महिलाओं की आर्थिक स्थिति जानने के लिए ईटीवी भारत ने कुछ ब्यूटी सैलून के बिजनेस पार्टनर्स और मालिकों से बातचीत की. लक्मे ब्रांड की बिजनेस पार्टनर मनीषा शेखर के प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में 4 लक्मे सैलून खुले हैं. उनका कहना है कि उनके सैलून अलग-अलग जोन में हैं. कोई रेड जोन में है तो कोई ग्रीन जोन और कोई ऑरेंज जोन में हैं. ऐसे में चीजों को मैनेज कर पाना बहुत मुश्किल हो रहा है.
मनीषा बताती हैं कि उनके 4 सैलून में लगभग 40 महिलाएं और लड़कियां काम करती हैं. उन्होंने बताया कि ऑरेंज जोन में खुले ब्यूटी सैलून को 3 मई से शुरू करने की परमिशन मिल चुकी थी, लेकिन एमएचए की गाइडलाइंस को फॉलो करना, सेफ्टी एंड सिक्योरिटी और हाइजीन को देखना और साथ ही लैक्मे की जो इमेज लोगों के दिल में बनी है उसे पहले की तरह ही बनाए रखने के लिए तमाम बातों को ध्यान में रखकर फॉलो करने में लगभग 15 दिन का समय लग गया.
मनीषा बताती हैं कि वह माइक्रो इंडस्ट्रीज के अंतर्गत आती है, जिसके तहत उन्हें लोन लेना पड़ा है, ताकि वे अपना व्यापार जैसे सैलून या पार्लर शुरू कर सकें. मनीषा ने बताया कि अभी तक उन्होंने सभी को वेतन दिया है, लेकिन लगातार लॉकडाउन के कारण अब उनके सामने भी दिक्कतें खड़ी हो रही है. उन्होंने बताया कि जो महिलाएं उनके लिए काम कर रही हैं उनमें से कई ऐसी भी महिलाएं हैं जो अल्प वेतन वाली हैं. अब लॉकडाउन के कारण वेतन न मिलने से उनके सामने खाने-पीने की दिक्कत खड़ी हो जाएगी.
वहीं मनीषा का कहना है कि कुछ खर्चे लॉकडाउन होने के बाद भी वैसे के वैसे हैं. जैसे उन्हें सैलून का किराया देना होता है, महिलाओं की सैलरी देनी होती हैं, इसके अलावा टेलीफोन बिल, इंटरनेट बिल और कई मिसलेनियस खर्चे होते हैं, जो एक उद्योग चलाने के तहत आते हैं. उनका कहना है कि इन सभी चीजों को मैनेज करने में काफी मुश्किलें आ रही हैं.
लखनऊ में पूरी तरह रेड जोन लागू है. ऐसे में राजधानी में चार ब्यूटी पार्लर चलाने वाली सिमरन साहनी कहती हैं कि वह पिछले 20 वर्षों से इस इंडस्ट्री से जुड़ी हुई हैं और उनके साथ 100 लोगों का स्टाफ काम करता है. इनमें 90% ऐसी महिलाएं हैं, जिनका खर्च सैलून से मिली वेतन पर चलता है. ऐसे में लॉकडाउन की वजह से काफी नुकसान हो रहा है. सिमरन बताती हैं कि मार्च की शुरुआत से ही ब्यूटी पार्लर का काम कम चल रहा था, क्योंकि होली से पहले लोग पार्लर आना कम कर देते हैं. वहीं होली के बाद कोरोना वायरस का कहर फैला और लॉकडाउन हो गया. ऐसे में मार्च की सैलरी तो उन्होंने अपने एंप्लाइज को जैसे तैसे मैनेज करके दे दी, लेकिन अप्रैल और मई की सैलरी के बारे में उन्हें खुद सोचना पड़ रहा है.
वह कहती हैं कि अप्रैल की तनख्वाह उन्होंने अपनी सेविंग से दी, लेकिन आगे का समय उनके लिए बेहद गंभीर होगा. 8-10 सालों से उनसे जुड़ी महिलाओं को सैलरी न दे पाना या मना कर पाना उनके लिए बहुत कठिन है.