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डलमऊ में गंगा के घाटों का कराया गया सौंदर्यीकरण: कमिश्नर मुकेश मेश्राम

पवित्र पावनी गंगा नदी को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए पीएम ने नमामि गंगे की शुरूआत की गई थी. पिछले पांच सालों में गंगा की कितनी सफाई हुई है, इस बारे में ईटीवी भारत ने कमिश्नर मुकेश मेश्राम से खास बातचीत की.

मंडलायुक्त कार्यालय लखनऊ.

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Published : Nov 22, 2019, 5:22 PM IST

लखनऊः पीएम नरेन्द्र मोदी ने जब पहली बार देश की सत्ता संभाली थी, तब उन्होंने पवित्र पावनी गंगा नदी को स्वच्छ और निर्मल बनाने की पहल शुरू की थी. इसके लिए मोदी सरकार ने एक अलग विभाग भी बनाया था. पिछले करीब 5 सालों में गंगा कितनी साफ हुई है, यह प्रश्न तो आये दिन उठता रहता है. वहीं इसी मामले पर ईटीवी भारत के संवाददाता ने कमिश्नर मुकेश मेश्राम से खास बातचीत की.

नमामि गंगे केंद्र सरकार का प्रोजेक्ट
गंगा नदी के सफाई अभियान को गति देने के लिए केंद्र सरकार ने इसे नमामि गंगे नाम दिया था. हर उस जगह की साफ-सफाई होनी थी, जहां से गंगा नदी निकलती है. केंद्र सरकार के इस अभियान के बाद भी अभी भी तमाम नाले गंगा नदी में गिर रहे हैं.

मामले की जानकारी देते कमिश्नर मुकेश मेश्राम.
जागरूकता पर विशेष ध्यान
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान मंडलायुक्त मुकेश मेश्राम ने बताया कि लोगों में पुण्य सलिला मां गंगा को लेकर जागरूकता फैलाने की जरूरत है. इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार प्रयासरत हैं.
डलमऊ में गंगा के घाटों का कराया गया सौंदर्यीकरण
साथ ही मंडलायुक्त ने बताया कि गंगा का प्रवाह लखनऊ मंडल में बहुत कम है, लेकिन रायबरेली जिले के डलमऊ में पवित्र पावनी मां गंगा का प्रवाह होता है. वहां पर घाटों का निर्माण, सौंदर्यीकरण कराया गया है.
कार्यदायी संस्था से की मीटिंग
मुकेश मेश्राम ने बताया कि वहां सारे कार्य करने वाली कार्यदायी संस्था इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड के अधिकारियों से एक बैठक भी की गई. उसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि जो लागत का निर्धारित था, उससे 30 फीसदी कम में काम हुआ है और अच्छा काम हुआ है. इसके अलावा संस्था के अधिकारियों ने बताया कि इस कार्य में 6 प्रतिशत की कमी भी हुई है.
घाटों पर सोलर लाइट
मंडलायुक्त ने जानकारी देते हुए बताया कि सोलर लाइट से सारे घाटों को रोशनी दी जाएगी. साथ ही शौचालय का भी विशेष ध्यान दिया गया है, वहां पर एसटीपी भी बनाया गया है.
6 महीने तक कार्यदायी संस्था संभालेगी जिम्मेदारी
मुकेश मेश्राम ने बताया कि शुरूआत के 6 महीने इन घाटों के सभी कार्यों की जिम्मेदारी कार्यदायी संस्था के ऊपर ही रहेगी. उसके बाद डलमऊ की नगर पंचायत जिम्मेदारी संभालेगी.

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