लखनऊ : प्रदेश में एक बार फिर कोरोना वायरस डराने लगा है. बावजूद इसके लोग अभी तक कोविड-19 प्रोटोकाल का पालन नहीं कर रहे हैं. हालांकि प्रशासन ने कोविड प्रोटोकॉल का पालन अनिवार्य कर दिया है. दुनिया के कई देशों में कोरोना की तीसरी और चौथी लहर भी आ चुकी है. भारत की वैक्सीन बेहतर होने के कारण वर्ष 2022 के बाद कोई और लहर नहीं आई है. फिर भी लोगों को सावधानी तो बरतनी ही चाहिए. शुक्रवार को अकेले लखनऊ में कोरोना वायरस से पीड़ितों की संख्या 200 पार कर गई. राजधानी में लगभग 600 संक्रमित कोरोना रोगी पाए गए हैं. यह आंकड़ा सिर्फ सरकारी अस्पतालों का है. यदि निजी अस्पतालों और घरों में इलाज करा रहे लोगों की संख्या देखी जाए तो यह आंकड़ा काफी बढ़ सकता है. हालांकि इसकी सही संख्या का किसी को अनुमान नहीं है. इस बार कोरोना से कई लोगों की मौत भी हो चुकी है. लोगों ने सावधानी नहीं बरती तो स्थिति और भी बिगड़ सकती है.
फिर डराने लगा कोरोना, लोग नहीं दिखा रहे संजीदगी. कोरोना की दूसरी लहर शायद ही कोई भूला हो. उस समय हर ओर मातम पसर गया था. हजारों लोगों की दुखद मौत हुई थी. अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड उपलब्ध नहीं रह गए थे. लोग घरों में ही गंभीर स्थिति होने के बावजूद इलाज कराने के लिए मजबूर थे. वह दौर था जब राज्य सरकार के तीन मंत्रियों की कोरोना वायरस ने जान ले ली थी. इनमें पूर्व क्रिकेटर व प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री और अमरोहा जिले की नौगांवा विधानसभा सीट से विधायक चेतन चौहान, कैबिनेट मंत्री और कानपुर की घाटमपुर विधानसभा सीट से विधायक कमल रानी वरुण और मुजफ्फरनगर की चरथावल विधानसभा सीट से विधायक और राज्यमंत्री विजय कश्यप को अपने प्राण गंवाने पड़े थे. इतना ही नहीं रायबरेली की सलोन सीट से विधायक दल बहादुर कोरी, उन्नाव के नवाबगंज सीट से विधायक केसर सिंह गंगवार, औरैया से विधायक रमेश दिवाकर और लखनऊ की पश्चिमी सीट से विधायक सुरेश कुमार श्रीवास्तव की भी कोरोना वायरस से मौत हुई थी. विधायक और मंत्री ही क्यों, कोरोना की इस लहर में देश और प्रदेश की तमाम हस्तियों ने दम तोड़ दिया था. लखनऊ के जाने-माने इतिहासकार पद्मश्री योगेश प्रवीन की भी कोरोना वायरस से ही मौत हुई थी.
फिर डराने लगा कोरोना, लोग नहीं दिखा रहे संजीदगी. वर्ष 2021 में कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट ने जो कोहराम मचाया था शब्दों में उसका वर्णन नहीं किया जा सकता. चिताओं को चार कंधे नसीब नहीं हो रहे थे. मरघटों में चिताओं का अंबार था. लोग गाड़ियों और एंबुलेंस में अस्पतालों के चक्कर काटते रहे और जब जगह मिली तो मौत भी आ गई. प्रदेश सरकार की पूरी तत्परता के बावजूद 24 करोड़ की आबादी वाले सूबे को संभालना आसान काम नहीं था. मृतकों में सैकड़ों डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी भी शामिल थे. तमाम ऐसे वाक्या रोज सामने आते कि किसी का भी कलेजा कांप जाए. कुछ परिवार के परिवार तबाह हो गए. कहीं बच्चों की देखभाल करने वाला ही कोई नहीं रहा. दुखद है कि इतनी बड़ी त्रासदी देख चुके लोग आज लापरवाही कर रहे हैं. अस्पतालों और तमाम सार्वजनिक स्थानों पर लोग बिना मास्क देखे जा सकते हैं. कोविड-19 प्रोटोकोल के अन्य नियमों की तो बात ही क्या की जाए. एंटीजन टेस्ट में तीन प्रतिशत लोग कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं. चिकित्सकों का कहना है कि लोगों में हर्ड इम्यूनिटी कम हुई है. जिसके कारण लोग जल्दी संक्रमित हो रहे हैं.
फिर डराने लगा कोरोना, लोग नहीं दिखा रहे संजीदगी. इस संबंध में वरिष्ठ चिकित्सक और मुख्य चिकित्सा अधिकारी रहे डॉ. रहमान कहते हैं हम देख चुके हैं कि कोरोना वायरस अपने रूप बदलता रहता है. यह कब घातक हो जाए कहा नहीं जा सकता. हालांकि अभी कोई चिंता की बात नहीं है. हमारी वैक्सीन अच्छी है जिस वजह से कोरोना वायरस घातक रूप नहीं दिखा पा रहा है. कई विकसित देशों में भी इस वायरस की तीसरी और चौथी लहर आ चुकी है. यह बताती है कि हमें पूरी सावधानी बरतनी चाहिए. जिन लोगों ने बूस्टर डोज नहीं लगवाई है, उन्हें तत्काल बूस्टर डोज लेनी चाहिए. सार्वजनिक स्थानों पर मास्क जरूर लगाएं और दो गज की दूरी के प्रोटोकॉल का पालन करें. समय-समय पर अपने हाथ साफ करते रहें और यदि संभव हो तो सैनिटाइजर साथ लेकर चलें. इन मामूली उपायों से हम बड़े संकट को टाल सकते हैं. ऐसा करके लोग खुद को तो बचाएंगे ही साथ ही अपने परिवार सहयोगियों और पड़ोसियों की भी मदद करेंगे. बीमारी नियंत्रित रही तो सरकार को भी कड़ी पाबंदियां नहीं लगानी पड़ेंगी, जो सबके हित में हैं.