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BBAU के छात्र ने विकसित किया 'इम्यूनो बायो सेंसर', इस बीमारी का पता लगाना हुआ आसान - student rishabh anand developed immuno bio sensor

यूपी की राजधानी लखनऊ में स्थित बीबीएयू (बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय) के एक छात्र को टीबी बीमारी को लेकर बड़ी सफलता मिली है. बीबीएयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के पीएचडी छात्र ऋषभ आनन्द ओमर ने एक इम्यूनो बायो सेंसर विकसित किया है. इससे आसानी से और जल्दी टीबी की बीमारी का पता लगाया जा सकेगा.

बीबीएयू के छात्र ने विकसित किया इम्यूनो बायोसेंसर
बीबीएयू के छात्र ने विकसित किया इम्यूनो बायोसेंसर

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Published : Sep 17, 2020, 10:09 PM IST

लखनऊ: टीबी घातक संक्रामक रोगों में से एक है. भारत में प्रति वर्ष इस बीमारी की चपेट में आ रहे लोगों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने हाल ही में टीबी बीमारी पर एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में देश में 24.04 लाख लोग टीबी की चपेट में आए हैं. यह संख्या वर्ष 2018 की तुलना में 14 प्रतिशत अधिक है. रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2019 में इस रोग के कारण 79,144 लोगों की मृत्यु हो चुकी है. सालाना इस बीमारी की वजह से मृत्यु दर का बढ़ना एक गंभीर चिंता का विषय है.

बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के पीएचडी छात्र ऋषभ आनंद ओमर को टीबी की बीमारी का पता लगाने की दिशा में बड़ी सफलता हासिल हुई है. छात्र ऋषभ आनंद ओमर इस दिशा में शोध कर रहे थे. ऋषभ ने माइक्रोबायोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. पंकज कुमार अरोरा के मार्गदर्शन में एवं आईआईटी कानपुर के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर डॉ. निशीथ वर्मा के सहयोग से एक 'इम्युनो बायो सेंसर' विकसित किया है. उन्होंने टीबी के बैक्टीरिया द्वारा स्रावित प्रोटीन को बायो मार्कर की तरह और उसके विरुद्ध कुछ एंटीबॉडी का उपयोग करके यह 'इम्यूनो बायो सेंसर' विकसित किया है, जो इस बीमारी का जल्दी पता लगाने और सटीक जानकारी देने में सक्षम है.

टीबी की बीमारी को पता करने के लिए कई पुराने तरीके उपलब्ध हैं, लेकिन वो जल्दी और सटीक जानकारी देने के लिए उपयुक्त नहीं हैं. इस दिशा में ऋषभ का यह प्रयास समाज के सामने टीबी की बीमारी के एक समाधान के रूप में प्रस्तुत है. उनकी इस खोज से सही समय पर बीमारी का पता लगाने में मदद मिलेगी और आगे टीबी की रोकथाम और इससे होने वाली मृत्यु दर को कम करने मे भी आसानी होगी.

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