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डीबीटी का लाभ मिलने के बाद सरकारी विद्यालयों से बच्चों का नाम कटवा रहे अभिभावक, शिक्षकों के सामने आई यह मुसीबत

बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्र संख्या घटने के पीछे अनोखा मामला सामने आया है. शिक्षकों का कहना है कि डीबीटी योजना के माध्यम से धनराशि मिलने के बाद अभिभावक बच्चों के नाम कटवाकर निजी स्कूलों में दाखिला दिला रहे हैं.

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Published : Aug 3, 2023, 9:36 PM IST

Updated : Aug 4, 2023, 6:16 PM IST

बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में अनोखी समस्या. देखें खबर

लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में एक नया मामला ही सामने आया है. विभाग के शिक्षकों द्वारा सोशल मीडिया पर छात्रों की लगातार छात्र संख्या जोड़ने की शिकायत कर रहे हैं. शिक्षकों का कहना है कि अभिभावक अपने बच्चों का नाम प्राथमिक विद्यालयों से कटवा कर प्राइवेट विद्यालयों में लिखवा रहे हैं. ऐसे में इन बच्चों का क्या किया जाए उनका नाम विद्यालय से कैसे काटा जाए. इसको लेकर काफी परेशान है. शिक्षकों का कहना है कि अभिभावकों के खाते में 1200 रुपये की धनराशि मिलने के बाद अपने बच्चों को प्राइवेट विद्यालयों में भेज रहे हैं. जबसे डीबीटी का पैसा ऑनलाइन मिलना शुरू हुआ है तब से लगातार छात्रों की संख्या में गिरावट देखी जा रही है.

बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में अनोखी समस्या.




सोशल मीडिया पर शिक्षकों ने ऐसे कई समस्याओं को लेकर अपनी बात रखी है. विद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि बीते दो वर्षों से डीबीटी का पैसा ऑनलाइन अभिभावकों के खातों में भेजा जा रहा है. जिसका नतीजा है कि प्रदेश के कई जिलों में विद्यालयों की संख्या में 15 से 20 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है. शिक्षकों के मैसेज ट्विटर पर वायरल हो रहे हैं. शिक्षक सोशल मीडिया से लेकर शिक्षा विभाग तक शिकायत के लेकर पहुंच रहे हैं.

प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में घट रहे छात्र. फाइल फोटो


प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि प्रदेश के कुछ जिलों से इस तरह की शिकायतें आई हैं. हालांकि अभी यह कहना बहुत जल्दी होगी, क्योंकि जुलाई-अगस्त में ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर बच्चे धान रोपाई के कारण विद्यालय नहीं आते हैं. इसके बाद भी छात्रों की संख्या नहीं बढ़ती है तो साल के अंत में विभाग ऐसे बच्चों का डाटा हटाने के लिए पोर्टल ओपन करेगा. तब शिक्षक छात्र के स्कूल छोड़ने के वाजिब कारण बताते हुए उनका नाम डिलीट कर सकते हैं. एक बार नाम डिलीट हो जाने के बाद अगली बार उनको डीबीटी का पैसा भी नहीं मिलेगा.


पूर्व माध्यमिक शिक्षा निदेशक विनय पांडे बहाल, पेपर लीक सहित कई आरोपों में हुए थे सस्पेंड

बलिया में यूपी इंटरमीडिएट की परीक्षा का पर्चा लीक होने के साथ ही कई अनियमितताओं में सस्पेंड चल रहे पूर्व शिक्षा निदेशक विनय कुमार पांडेय को सेवा में बहाल कर दिया गया है. उन्हें बीते साल अप्रैल माह में सस्पेंड किया गया था. करीब 16 माह चले विभागीय जांच के बाद उन्हें दोबारा से बहाल किया गया है. बहाली के साथ ही उन्हें महानिदेशक स्कूल शिक्षा कार्यालय से सम्बद्ध किया गया है. दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बलिया में पेपर लीक के अलावा विभागीय कामकाज में लापरवाही के आरोप में पांडेय को 26 अप्रैल 2022 को निलंबित कर दिया था.

पूर्व माध्यमिक शिक्षा निदेशक विनय पांडे बहाल.

परिनिंदा पाकर करीब 16 माह बाद बहाल हुए विनय कुमार पांडे : इस मामले में प्रमुख सचिव सहकारिता बीएल मीणा को पांच जुलाई 2022 को नामित किया गया था. विनय पांडेय पर सात आरोप अधिरोपित किए गए थे, जांच में सभी आरोप प्रमाणित पाए गए थे. अधिकारी को बचाव का दूसरा मौका प्रदान करते हुए प्रमाणित पाए गए आरोप में में अभ्यावेदन उपलब्ध कराने के लिए शासन की ओर से 29 मार्च 2023 को निर्देशित किया गया. अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार की ओर से जारी पत्र में कहा गया कि राज्यपाल के आदेश से पांडेय के खिलाफ संस्थित अनुशासनात्मक कार्रवाई को नाम मात्र यानी 'परिनिंदा' का दंड प्रदान करते हुए समाप्त कर दिया गया है. पांडेय को सेवा में बहाल करते हुए महानिदेशक स्कूल शिक्षा कार्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया है.

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Last Updated : Aug 4, 2023, 6:16 PM IST

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