लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में एक नया मामला ही सामने आया है. विभाग के शिक्षकों द्वारा सोशल मीडिया पर छात्रों की लगातार छात्र संख्या जोड़ने की शिकायत कर रहे हैं. शिक्षकों का कहना है कि अभिभावक अपने बच्चों का नाम प्राथमिक विद्यालयों से कटवा कर प्राइवेट विद्यालयों में लिखवा रहे हैं. ऐसे में इन बच्चों का क्या किया जाए उनका नाम विद्यालय से कैसे काटा जाए. इसको लेकर काफी परेशान है. शिक्षकों का कहना है कि अभिभावकों के खाते में 1200 रुपये की धनराशि मिलने के बाद अपने बच्चों को प्राइवेट विद्यालयों में भेज रहे हैं. जबसे डीबीटी का पैसा ऑनलाइन मिलना शुरू हुआ है तब से लगातार छात्रों की संख्या में गिरावट देखी जा रही है.
सोशल मीडिया पर शिक्षकों ने ऐसे कई समस्याओं को लेकर अपनी बात रखी है. विद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि बीते दो वर्षों से डीबीटी का पैसा ऑनलाइन अभिभावकों के खातों में भेजा जा रहा है. जिसका नतीजा है कि प्रदेश के कई जिलों में विद्यालयों की संख्या में 15 से 20 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है. शिक्षकों के मैसेज ट्विटर पर वायरल हो रहे हैं. शिक्षक सोशल मीडिया से लेकर शिक्षा विभाग तक शिकायत के लेकर पहुंच रहे हैं.
प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि प्रदेश के कुछ जिलों से इस तरह की शिकायतें आई हैं. हालांकि अभी यह कहना बहुत जल्दी होगी, क्योंकि जुलाई-अगस्त में ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर बच्चे धान रोपाई के कारण विद्यालय नहीं आते हैं. इसके बाद भी छात्रों की संख्या नहीं बढ़ती है तो साल के अंत में विभाग ऐसे बच्चों का डाटा हटाने के लिए पोर्टल ओपन करेगा. तब शिक्षक छात्र के स्कूल छोड़ने के वाजिब कारण बताते हुए उनका नाम डिलीट कर सकते हैं. एक बार नाम डिलीट हो जाने के बाद अगली बार उनको डीबीटी का पैसा भी नहीं मिलेगा.