लखनऊ :राजधानी में विश्व मृदा दिवस पर राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (National Bureau of Fish Genetic Resources) में विश्व मृदा दिवस (world soil day) का आयोजन किया गया. इस दौरान संस्थान के निर्देशक ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया. इस अवसर पर उन्होंने मृदा की उपयोगिता और संरक्षण पर विस्तृत चर्चा की. राजधानी लखनऊ के राष्ट्रीय मत्स्य अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो में आयोजित विश्व मृदा दिवस पर समारोह में निदेशक ने डॉ. उत्तम कुमार सरकार (Director Dr. Uttam Kumar Sarkar) ने कहा कि, भोजन, वस्त्र, आश्रय, और दवाओं की बुनियादी मानवीय आवश्यकताएं मृदा (मिट्टी) के बिना संभव नहीं हैं. खाद्य उत्पादन का लगभग 95% भाग मृदा पर आश्रित है. मिट्टी मुख्य रूप से खनिजों, कार्बनिक पदार्थों, तरल पदार्थों, गैसों और सूक्ष्मजीवों से बनी है.
इसके पहले डॉ. उत्तम कुमार सरकार (Dr. Uttam Kumar Sarkar) ने कार्यक्रम में आए अतिथियों और अन्य प्रतिभागियों का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि इस दिवस को मनाने का उद्देश्य किसानों को उनके कृषि क्षेत्रों में उर्वरकों और पोषक तत्वों के उपयोग के संबंध में मार्गदर्शन और प्रशिक्षण देना है. अब तक अधिकांश किसान अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिए अपने खेतों में असंतुलित तरीके उर्वरकों का प्रयोग करते रहे हैं. अध्ययन के अनुसार यह पाया गया कि उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से न केवल लागत में वृद्धि होती है. बल्कि उत्पादकता में भी कमी आती है, साथ ही मिट्टी की गुणवत्ता खराब होती है.