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गलत रिपोर्ट देने वाले 40 बीएसए को जारी की गई चेतावनी, जानिए क्या की गड़बड़ियां - यूनिसेफ की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश प्राइमरी स्कूलों के बारे में पोर्टल पर अपलोड की गई सूचनाओं और फील्ड सर्वेक्षण की फीडबैक सूचनाओं में काफी अंतर मिला है. इसको लेकर स्कूल शिक्षा महानिदेशक ने 40 बेसिक शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की चेतावनी दी है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 15, 2023, 11:01 PM IST

लखनऊ : प्रदेश के प्राइमरी विद्यालयों के बारे में पोर्टल पर अपलोड सूचनाओं से फील्ड सर्वेक्षण में मिले फीडबैक में काफी अंतर मिलने पर महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने प्रदेश के 40 बेसिक शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की चेतावनी दी है. सर्वेक्षण में पोर्टल दर्ज डाटा और फीडबैक में विरोधाभासी रिपोर्ट मिलने पर महानिदेशक ने काफी नाराजगी भी जाहिर की है. प्रदेश के 100 विकास खंडों की प्रगति की समीक्षा पांच विषयों के तहत 75 इंडिकेटर के आधार पर की जाती है. इन विकास खंडों की प्रगति के लिए बनाए गए पोर्टल पर फीड किए गए डाटा एवं यूनिसेफ के द्वारा सर्वेक्षण के आधार पर तैयार की गई रिपोर्ट में काफी अंतर मिला है.

इस पर स्कूल शिक्षा महानिदेशक में 100 विकास खंडों से जुड़े जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है. महानिदेशक की ओर से संबंधित बेसिक शिक्षा अधिकारियों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि प्रदेश के सर्वोच्च प्राथमिकता में उनके जिले में आने वाले विकासखंड है तथा इसकी समीक्षा मुख्यमंत्री द्वारा नियमित रूप से की जाती है. ऐसे में लापरवाही पूरी तरह से अक्षम्य है.

बता दें, मार्च 2023 तक औसतन 97% विद्यालयों में पूर्ण रूप से क्रियाशील बालिका शौचालय का उल्लेख पोर्टल पर किया गया है. जब यूनिसेफ की रिपोर्ट आई तो उसके अनुसार पोर्टल पर दर्ज डाटा और सर्वेक्षण की रिपोर्ट में अंतर है. सर्वेक्षण की रिपोर्ट में 78 फ़ीसदी बालिका विद्यालयों में ही शौचालय क्रियाशील पाए गए हैं. इसके अलावा 15 विकास खंडों के प्राथमिक विद्यालयों में 50% से कम विद्यालय में बालिकाओं के लिए बने शौचालय क्रियाशील पाए गए हैं. इसी रिपोर्ट से पोर्टल पर दर्ज डाटा के अनुसार मार्च 2023 तक 97 फ़ीसदी विद्यालयों में पेयजल उपलब्ध बताया गया है. जबकि यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार 91 फ़ीसदी विद्यालयों में ही ऐसा पाया गया. इनमें से 12 विकास खंडों में 70% से कम विद्यालयों में पेयजल की उपलब्धता दिखाई गई है.

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