लखनऊ :हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने के मामले में आरोपी व केंद्र सरकार के कर्मचारी इरफान शेख उर्फ इरफान खान की जमानत याचिका खारिज कर दी है. न्यायालय ने कहा कि रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि विवेचना में अभियुक्त के खिलाफ ठोस साक्ष्य पाए गए हैं.
यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति बीआर सिंह की खंडपीठ ने इरफान शेख की ओर से दाखिल अपील को खारिज करते हुए पारित किया. अपीला करने वाले पर आरोप है कि वह मामले के मुख्य अभियुक्त उमर गौतम के साथ मिलकर गूगे व बहरे लोगों का इस्लाम में धर्मांतरण कराता था.
आरोपी यह काम विदेशों से धन प्राप्त करने व देश के विरुद्ध साजिश करके करवाता था. अपीलार्थी नई दिल्ली में साइन लैंग्वेज ट्रेंनिंग एंड रिसर्च सेंटर में इंटरप्रेटर के पद पर नियुक्त था. वह अपने पद का दुरूपयोग करके व ऐसा दर्शाकर कि वह सरकार की ओर से इसी काम के लिए तैनात है. न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि अपीलार्थी अपने पद का दुरूपयोग करते हुए, देश विरोधी साजिश में शामिल था.
अपीलार्थी मुख्य अभियुक्त उमर गौतम के नेटवर्क का एक सदस्य था व विवेचनाधिकारी ने उसके खिलाफ ठोस साक्ष्य संकलित किए हैं. ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किए जाने का कोई मजबूत आधार नहीं मिला है. इसके पूर्व अभियुत इरफान की एनआईए कोर्ट ने 21 अक्टूबर 2021 को जमानत अर्जी खारिज कर दी थी.
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