लखनऊ: लोगों को प्रलोभन देकर उनका धर्म परिवर्तन कराने के आरोपी अब्दुल्ला उमर, भूप्रिय बंदो उर्फ अर्सलान मुस्तफा, आदम उर्फ प्रसाद रामेश्वर कांवरे व डॉ. कुणाल अशोक चौधरी की जमानत अर्जी एटीएस कोर्ट की विशेष न्यायाधीश कल्पना ने खारिज कर दी है.
अभियोजन पक्ष की ओर से संयुक्त निदेशक अतुल कुमार ओझा ने जमानत अर्जियों का विरोध करते हुए कहा कि इस मामले की रिपोर्ट वादी उप निरीक्षक विनोद कुमार ने थाना एटीएस गोमती नगर में दर्ज कराई गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कुछ देश विरोधी असामाजिक तत्व धार्मिक संगठन, सिंडीकेट, आईएसआई व विदेशी संस्थाओं के निर्देश पर धर्म परिवर्तन कराके जनसंख्या संतुलन को तीव्र गति से बदल रहे हैं.
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अर्जी के विरोध में यह भी कहा गया है कि अभियुक्तगण धर्म परिवर्तन किए गए लोगों को उनके मूल धर्म के प्रति विद्वेष व नफरत भाव पैदा कर रहे हैं. कहा गया कि धर्म परिवर्तित लोगों को देश के विभिन्न धार्मिक वर्गों में आपसी वैमनस्यता फैला कर देश का सौहार्द बिगाड़ रहे हैं.
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अदालत ने आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा है कि उनके विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य हैं. अगर उन्हें जमानत पर रिहा किया जाता है तो इस बात की संभावना है कि वह गवाहों को डरा धमका कर साक्ष्य को प्रभावित करेंगे एवं फरार भी हो सकते हैं. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि इस मामले में राहुल भोला व अन्य आरोपियों की जमानत खारिज की जा चुकी है ऐसी स्थिति में आरोपियों को जमानत पर रिहा किया जाना उचित नहीं है.
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