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लखनऊ: ये हैं जनता के रखवाले, इनकी सुरक्षा भगवान के हवाले - आवास

समाज की सुरक्षा की जिम्मेदारी जिस विभाग को दी गई है, उसी विभाग के कर्मचारी हर समय खौफ के साए में रहने को मजबूर हैं. यूपी की राजधानी लखनऊ की पुलिस लाइन में पुलिसकर्मियों को मिले शासकीय आवासों की स्थिति इतनी खस्ता है कि वे किसी भी दिन गिर सकते हैं. पुलिस लाइन में 844 आवास पुलिसकर्मियों के लिए बने हुए हैं. इनकी मरम्मत बरसों से नहीं हुई है.

जर्जर आवासों में रहने को मजबूर हैं जनता के रखवाले.
जर्जर आवासों में रहने को मजबूर हैं जनता के रखवाले.

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Published : Nov 10, 2020, 4:28 PM IST

लखनऊ: समाज में शांति बनाए रखने और जनता को सुरक्षा प्रदान करने की जिम्मेदारी पुलिसकर्मियों की है. कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए 24 घंटे ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मी राजधानी लखनऊ के जर्जर आवासों में रहने को मजबूर हैं. घर परिवार से दूर रहकर जनता की सुरक्षा में तैनात इन पुलिसकर्मियों की सुविधा को लेकर सरकार जरा भी गंभीर नहीं है. राजधानी की पुलिस लाइन में 844 आवास पुलिसकर्मियों के लिए बने हुए हैं, लेकिन इनकी बरसों से मरम्मत नहीं हुई है. इससे ये बदहाल होने लगे है. कई आवासों का कभी छत का प्लास्टर गिर जाता है तो कभी दीवारों का. ऐसे में इन आवासों में रहने वाले पुलिसकर्मियों और इनके परिजनों को हमेशा हादसे की आशंका रहती है.

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खस्ताहाल आवास होने के कारण पुलिसकर्मियों को ड्यूटी के दौरान भी परिवार की चिंता बनी रहती है. सरकारी नियम है कि पुलिसकर्मियों के एक आवास की मरम्मत के लिए 5 साल में एक बार 25000 रुपये मिलने चाहिए, लेकिन ये पैसे भी उन्हें नहीं मिल पाते. ऐसे में छोटी-छोटी टूट-फूट को पुलिसकर्मी अपने पैसे से ही ठीक कराते हैं.

जर्जर आवासों में असुरक्षित हैं पुलिसकर्मियों के परिवार
राजधानी लखनऊ में ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मियों के लिए जिले में पर्याप्त आवास नहीं हैं. पुलिसकर्मियों के लिए जो आवास बने हैं, उनकी दशा भी खराब है. दिन रात जनता की सेवा में लगे रहने वाले पुलिसकर्मी खुद अपने परिवार के लिए परेशान रहते हैं. यह हाल थाना परिसर में बने पुलिस आवासों का ही नहीं, बल्कि पुलिस लाइन में बने हुए आवासों का भी है. पुलिस लाइन में 844 आवास हैं, लेकिन इनमें से अधिकतर आवासों की मरम्मत तक नहीं हुई है. अब यह आवास जर्जर हालत में है. इन जर्जर आवासों में से कुछ की छत टपक रही है तो कुछ की दीवारों का प्लास्टर गिर रहा हैं. ऐसे में पुलिसकर्मी अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं.

कंडम आवासों में रहने को मजबूर परिवार
लखनऊ पुलिस लाइन में पुलिसकर्मियों के लिए 844 आवास बने हैं. इन आवासों में से 32 कंडम है. एक इंजीनियर की रिपोर्ट के आधार पर यह आवास रहने लायक नहीं बचे हैं. इसके बाद भी पुलिस लाइन के इन कंडम आवासों में परिवार रहने के लिए मजबूर है. क्योंकि इनको अभी तक दूसरा आवास उपलब्ध नहीं कराया गया है.

जिले में कुल पुलिस आवास 2384
पुलिसलाइन में आवास 844
कंडम आवास 32

नहीं मिलता मरम्मत का पैसा
पुलिस के आधुनिकीकरण की दिशा में सरकार काम कर रही है, लेकिन हकीकत यह है कि आज भी पुलिसकर्मियों के लिए बने आवासों की हालत अच्छी नहीं है. यह दुर्दशा तब है, जबकि पुलिस लाइन में ही मरम्मत विंग है. ये विंग ही पुलिस आवासों की मरम्मत का काम देखती है. इसके बाद भी मरम्मत का काम कर्मियों को अपने वेतन से कराना पड़ता है, क्योंकि उनको अपने परिवारों की सुरक्षा की चिंता है. नाम न बताने की शर्त पर पुलिस लाइन के एक कंडम आवास में रहने वाले पुलिसकर्मी ने बताया कि उसके आवास की हालत इतनी खराब है कि उसने अपने पास से 35,000 रुपये लगाकर मरम्मत कराई है. इसके बाद भी दीवारों से प्लास्टर गिर रहा हैं. पुलिस लाइन के खस्ता हाल आवास में रहने वाली विमला ने बताया कि उनके आवास में पानी की सुविधा तक नहीं है.

ये बोले अधिकारी

एसीपी पुलिस लाइन कासिम आब्दी ने बताया पुलिस लाइन में आवास की मरम्मत के लिए रिपेयरिंग विंग बनी हुई है. लाइन में 844 आवास है, जिसमें परिवार रह रहे हैं. इन आवासों में ब्लॉक बनाकर मरम्मत का काम हो रहा है. लाइन में 32 आवास कंडम है, जिनको खाली कराने की प्रक्रिया चल रही है. 14 लाख रुपये से एक बैरक की मरम्मत का काम किया गया है.

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