लखनऊ: समाज में शांति बनाए रखने और जनता को सुरक्षा प्रदान करने की जिम्मेदारी पुलिसकर्मियों की है. कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए 24 घंटे ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मी राजधानी लखनऊ के जर्जर आवासों में रहने को मजबूर हैं. घर परिवार से दूर रहकर जनता की सुरक्षा में तैनात इन पुलिसकर्मियों की सुविधा को लेकर सरकार जरा भी गंभीर नहीं है. राजधानी की पुलिस लाइन में 844 आवास पुलिसकर्मियों के लिए बने हुए हैं, लेकिन इनकी बरसों से मरम्मत नहीं हुई है. इससे ये बदहाल होने लगे है. कई आवासों का कभी छत का प्लास्टर गिर जाता है तो कभी दीवारों का. ऐसे में इन आवासों में रहने वाले पुलिसकर्मियों और इनके परिजनों को हमेशा हादसे की आशंका रहती है.
खस्ताहाल आवास होने के कारण पुलिसकर्मियों को ड्यूटी के दौरान भी परिवार की चिंता बनी रहती है. सरकारी नियम है कि पुलिसकर्मियों के एक आवास की मरम्मत के लिए 5 साल में एक बार 25000 रुपये मिलने चाहिए, लेकिन ये पैसे भी उन्हें नहीं मिल पाते. ऐसे में छोटी-छोटी टूट-फूट को पुलिसकर्मी अपने पैसे से ही ठीक कराते हैं.
जर्जर आवासों में असुरक्षित हैं पुलिसकर्मियों के परिवार
राजधानी लखनऊ में ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मियों के लिए जिले में पर्याप्त आवास नहीं हैं. पुलिसकर्मियों के लिए जो आवास बने हैं, उनकी दशा भी खराब है. दिन रात जनता की सेवा में लगे रहने वाले पुलिसकर्मी खुद अपने परिवार के लिए परेशान रहते हैं. यह हाल थाना परिसर में बने पुलिस आवासों का ही नहीं, बल्कि पुलिस लाइन में बने हुए आवासों का भी है. पुलिस लाइन में 844 आवास हैं, लेकिन इनमें से अधिकतर आवासों की मरम्मत तक नहीं हुई है. अब यह आवास जर्जर हालत में है. इन जर्जर आवासों में से कुछ की छत टपक रही है तो कुछ की दीवारों का प्लास्टर गिर रहा हैं. ऐसे में पुलिसकर्मी अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं.