लखनऊःप्रदेश की राजधानी में असहायों, बेसहारा लोगों को ठंड से बचाने के लिए तमाम कवायद की जा रही है. पिछले 2 दिनों से राजधानी में हाड़ कपा देने वाली ठंड पड़ रही है. रात का तापमान 5 डिग्री से भी नीचे पहुंच रहा है. ऐसे में नगर निगम ने तमाम स्थानों पर रैन बसेरे बनाए हैं. जब इन रैन बसेरों की व्यवस्था की पड़ताल की गई तो कमाल की बात सामने आई, कहीं तो व्यवस्थाएं बहुत अच्छी थीं, पर कहीं बहुत बदहाल.
रैन बसेरों में व्यवस्थाएं स्थाई और अस्थाई रैन बसेरे
राजधानी क्षेत्र में दो तरह के रैन बसेरे बनाए गए हैं. एक स्थाई हैं तो दूसरे अस्थाई. स्थाई रैन बसेरों की व्यवस्था उम्मीद नामक एनजीओ संभाल रही है. वहीं, अस्थाई रैन बसेरों की व्यवस्था खुद नगर निगम संभाल रही है.
अस्थाई रैन बसेरे में तमाम अव्यवस्थाएं
अस्थाई रैन बसेरों की बात करें तो वहां की व्यवस्था कामचलाऊ ही दिखाई देती हैं. केडी सिंह बाबू स्टेडियम मेट्रो स्टेशन के नीचे अस्थाई रैन बसेरा बनाया गया है. रविवार को यहां की हालत देखी तो पता चला कि इस रैन बसेरे में पिछले 2 दिनों से सफाई तक नहीं हुई है. वहीं सोने के लिए 10 चारपाई में पड़ी हुई हैं लेकिन इस हाड़ कंपा देने वाली ठंड में टेंट के परदे लगाकर काम चलाया गया है. इसके अंदर से हवा गुजर रही है. वहीं इस रैन बसेरे में कोरोना प्रोटोकॉल के लिए ऑक्सीमीटर और तापमान चेक करने के लिए कोई उपकरण नहीं है. यहां रहने वाले लोग भगवान भरोसे ही कोरोना से बच सकते हैं. अस्थाई रैन बसेरा में ड्यूटी कर रहे नगर निगम कर्मी अंकित बताते हैं कि यहां पर चारपाई, रजाई और अलाव की व्यवस्था तो है लेकिन कोरोना वायरस से बचाव के लिए कोई उपकरण नहीं है और ना ही साफ-सफाई हुई है.
स्थाई की व्यवस्था ठीक
स्थाई रैन बसेरे का संचालन इन दिनों एक उम्मीद संस्था के हाथों में है. स्थाई रैन बसेरे में व्यवस्थाएं काफी अच्छी हैं. आलमबाग स्थित स्थाई रैन बसेरे में संचालन की जिम्मेदारी देख रहे श्रीकांत बताते हैं कि यहां एनजीओ के माध्यम से व्यवस्था देखी जा रही हैं. यहां पर रहने वाले लोगों को बिस्तर, कंबल आदि हर तरह की बढ़िया सुविधाएं दी जा रही हैं. दवाइयां, ऑक्सीमीटर आदि भी उपलब्ध हैं.