हैदराबादः बीते माह समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व विधायक आजम खां को उच्चतम न्यायालय से अंतरिम जमानत मिलने के बाद सीतापुर जेल से रिहा किया गया था. जेल से लौटने के बाद आजम खान कुछ दिन बेहद शांत रहे. मीडिया के तीखे सवालों का उन्होंने सधे हुए अंदाज में जवाब दिया. उनका यह अंदाज उनके पुराने अंदाज से काफी इतर था. न कोई तीखी बयानबाजी, न कोई बड़ा आरोप और न ही विपक्षी पर तंज कसने वाली बयानबाजी दिखी.
लोकसभा उपचुनाव आए तो आजम खान ने रामपुर से अपने करीबी आसिम रजा का नाम आगे बढ़ा दिया. सपा ने भी उन्हें टिकट दे दिया. भाजपा ने जैसे ही कभी उनके करीबी रहे घनश्याम लोधी के नाम का ऐलान किया तो आजम खान को मैदान पर आकर खुद मोर्चा संभालना पड़ा. जनसभाओं में आजम खान ने जेल में बिताए वक्त की यादें साझा करनी शुरू की.
कभी उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार उन्हें कहीं भी खड़ा करके गोली मार सकती है. उन्होंने कहा था कि मेरे खुदा ने जितनी मेरी जिंदगी दी है, तब तक मैं जिंदा हूं. मुन्ना बजरंगी को मारा गया था, उनके साथियों को भी मारा गया था. हमें इंतजार था, कहीं मुन्ना बजरंगी जैसा अंजाम हमारा भी हो सकता है. आजम खान ने कहा कि वह लोगों को चौकन्ना करने आए हैं.