लखनऊः विश्व टीबी दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की तरफ से जागरूकता संगोष्ठी का आयोजन किया गया. हुसैनगंज मेट्रो स्टेशन पर आयोजित इस संगोष्ठी में किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में श्वसन औषधि के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे. डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी ने कहा कि क्षय रोग का सबसे पहला वर्णन ऋग्वेद में मिलता है. यह एक ऐसी बीमारी है जो धरती के भूगोल में हर कहीं पाई जाती है. इसी तरह शरीर का भी कोई भी हिस्सा इस रोग से प्रभावित हो सकता है. हर साल टीबी से 14 लाख मौतें होती हैं, जिनमें से 4.5 लाख मौतें भारत में होती हैं. इससे इस बीमारी की गंभीरता का अनुमान लगाया जा सकता है.
टीबी को जड़ से खत्म करने को चलाई जा रही मुहिम
उन्होंने कहा कि हालांकि इससे जुड़ी एक अच्छी बात यह है कि सही इलाज और दवा लेने से इस बीमारी का 100 प्रतिशत इलाज संभव है. टीबी हॉस्पिटल राजेंद्र नगर के डाॅ. एके चौधरी ने बताया कि सरकार द्वारा टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए व्यापक स्तर पर मुहिम चलाई जा रही है. इसकी जांच और इलाज पूरी तरह से निःशुल्क है. मरीजों के लिए पोषण योजना भी आरंभ की गई है, जिसके तहत हर महीने 500 रुपये की राशि मरीजों के खाते में ट्रांसफर की जाती है. दो हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर दो बलगम की जांच कराएं और पोषण का विशेष ख्याल रखें.
कुपोषण है टीबी की अहम वजह
एसजीपीजीआई की डायटिशियन सुश्री निरुपमा सिंह ने कुपोषण को टीबी की मुख्य वजह बताते हुए कहा कि संतुलित आहार का सेवन करें. भोजन में प्रोटीन की मात्रा सहीं होनी चाहिए. यह हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाता है. दाल, चना, सोयाबीन एवं दुग्ध उत्पादों में यह भरपूर मात्रा में पाया जाता है. हमें अपने भोजन में अनाज और दाल के अलावा फल और हर तरह की सब्जी को भी शामिल करना चाहिए.