लखनऊ : अब हीमोफीलिया मरीजों को बार-बार फैक्टर आठ या नौ चढ़वाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. मरीज को रक्तस्राव जैसी घातक स्थिति से भी गुजरने से बचाने में मदद मिलेगी. अंगों को टेढ़े होने से भी बचाया जा सकेगा. यह संभव होगा हीमोफीलिया की नई दवा से. खास तरह का इंजेक्शन लगाकर मरीजों को एक माह तक राहत प्रदान की जा सकेगी. यह जानकारी केजीएमयू हीमैटोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. एके त्रिपाठी ने दी. वह सोमवार को हीमोफीलिया दिवस पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.
डॉ. एके त्रिपाठी ने कहा कि 'प्रदेश में करीब 2200 हीमोफीलिया के मरीज पंजीकृत हैं, जिसमें 1400 मरीजों का इलाज अकेले केजीएमयू में चल रहा है. प्रदेश के 26 अस्पतालों में हीमोफीलिया मरीजों के इलाज की सुविधा है. इससे मरीजों को घर के निकट इलाज हासिल करने में मदद मिल रही है. डॉ. एके त्रिपाठी ने बताया कि हीमोफीलिया मरीजों में रक्तस्राव का खतरा अधिक रहता है. शरीर में खून जमाने के लिए जरूरी फैक्टर आठ व नौ की कमी होती है. मरीज की जिंदगी बचाने के लिए फैक्टर आठ या नौ चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. अभी मरीजों को समस्या होने की दशा में इलाज मुहैया कराया जा रहा है. जल्द ही समस्या न हो इसके लिए इलाज की व्यवस्था की जाएगी. उन्होंने बताया कि खास तरह का इंजेक्शन बाजार में आ चुका है, जिसे माह में एक बार लगाया जाएगा. मरीज को रक्तस्राव जैसी समस्या से बचाने में मदद मिलेगी. यही नहीं जोड़ों के आस-पास मांसपेसियां मजबूत होंगी. इससे जोड़ों को खराब होने से बचाने में मदद मिलेगी.'
मरीज को परिजन से मिलाया :केजीएमयू के ट्राॅमा सेंटर में पुलिस ने एक लावारिस मरीज को बीते 26 फरवरी को भर्ती कराया गया था. यह मरीज पुलिस को बेहोशी की हालत में लखनऊ रेलवे स्टेशन पर मिला था. पुलिस ने मरीज को ट्राॅमा सेंटर में भर्ती कराया था. तब यह कोमा में था. इलाज से धीरे-धीरे सुधार आया और वह खाने-पीने बोलने चलने लायक हो गया. होश में आने के बाद उसने अपना नाम जीत बहादुर बताया. मरीज गांव-छपरा मैदान, जिला-गोरखा, नेपाल का रहने वाला है.
केजीएमयू की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि 'उसकी पत्नी का नाम दीमिनी है, जो अब छोड़कर चली गई है और दूसरी शादी कर ली है. युवक का एक बेटा है जिसका नाम किस्मत है और वह शक्ति स्कूल की किसी शाखा में पढ़ रहा है. युवक अपनी मां के साथ गांव में रहता है. युवक के दो भाई थे जो शादी करके अब अलग रहते हैं और दो बहनें थीं जिनकी शादी हो चुकी है. युवक अपने गांव से सोनौली और फिर गोरखपुर आया था और गोरखपुर में ट्रेन पर बैठकर केरल जा रहा था, जहां इसके कुछ साथी लोग कैंटीन का बिजनेस करते हैं.