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लखनऊ: राष्ट्रीय क्षितिज पर अवधी लोक संस्कृति की मिठास घोल रहीं कुसुम वर्मा - lucknow news

राजधानी की प्रसिद्ध लोक गायिका कुसुम वर्मा ने राष्ट्रीय क्षितिज में अवधी संस्कृति की मिठास घोली है. दीपावली पर उन्होंने दो अवधी गीतों को अपनी आवाज दी. उनके द्वारा गए गीतों की शूटिंग राजधानी अलीगंज स्थित श्रीराम के मंदिर में हुई.

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लोक गायिका कुसुम वर्मा

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Published : Nov 24, 2020, 11:00 AM IST

लखनऊ:अवधी संस्कृति की मिठास को राजधानी की प्रसिद्ध लोक गायिका कुसुम वर्मा ने राष्ट्रीय क्षितिज में घोला. बीते दीपावली पर्व पर उनकी सुरीली आवाज में गाये अवधी गीतों को नृत्य के साथ एक राष्ट्रीय चैनल प्रसारित किया गया. इन गीतों की शूटिंग अलीगंज स्थित श्रीराम मंदिर में हुई. खास बात यह कि इन गीतों के रचयिता और सहयोगी कलाकार भी यहीं के थे.

लोक गायिका कुसुम वर्मा


अवधी गीतों के बोल थे-
'आज अवध घर आये रघुरइया
घर-घर बाजै बधइया हो'. इसकी रचना शहर के इतिहासकार डाॅ योगेश प्रवीन ने की थी. स्वर कुसुम के थे और गाने उनका साथ दिया पूर्विका पाण्डेय, बरखा श्रीवास्तव ने. संगीत मोनू सिन्हा ने दिया था. रिकॉर्डिंग अनुराग भोलिया की थी. नृत्य में सपना सिंह, सुप्रिया, अनुष्का ,अनामिका साथ थीं. छायांकन और संकलन अनवर बेग का था.

वहीं, दूसरा गीत 'अयोध्या मा जगमग होय सखी री बन से राम जी आये.' इसकी रचना आरती पाण्डेय ने की थीं, गाया कुसुम ने था. सह गायन में पूर्विका पाण्डे, बरखा श्रीवास्तव थीं. नृत्य में सपना, सुप्रिया, अनुष्का अनामिका ने साथ दिया था.

बताया अपने बारे में

लोक गायिका कुसुम वर्मा ने बताया कि इन गीतों को लोक धरोहर के रूप में अगली पीढ़ी को सौप रही हूँ. मुझे बचपन से गाने का बहुत शौक था. मैं आकाशवाणी इलाहाबाद से जुड़ी थी. मैं ऑल इंडिया रेडियो में ग्रेडेड कलाकार हूं अपने लोकगीतों के साथ मैं लगभग 15 देशों भूटान, नेपाल, श्रीलंका, सिंगापुर, थाईलैंड, बाली, न्यूजीलैंड, मारीशस, कम्बोडिया, वियतनाम आदि देशों में मंच प्रस्तुति की है.

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