लखनऊ में 20 साल पुराने केंद्रों से चलेंगे ऑटो, कमिश्नर की तरफ से जल्द लग सकती है मुहर - Autos will run from 20 years old centers
लखनऊ कमिश्नर के निर्देश पर शहर में एक बार फिर 20 साल पुरानी व्यवस्था लागू करने के लिए गठित समिति शहर के विभिन्न रूटों का सर्वे कर रही है. सर्वे का उद्देश्य शहर में नए सिरे से केंद्रों का निर्धारण कर ऑटो संचालन करना है. जिससे शहरवासियों को बेहतर, सुगम और किफायती साधन मिल सकें.
लखनऊ : लखनऊ कमिश्नर के निर्देश पर शहर में एक बार फिर 20 साल पुरानी व्यवस्था लागू करने के लिए गठित समिति शहर के विभिन्न रूटों का सर्वे कर रही है. सर्वे पूरा होने के बाद ये समिति मंडलायुक्त को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. अभी तक समिति की तरफ से जिन रूटों का सर्वे किया गया है उन पर केंद्र बनाकर ऑटो के संचालन को लेकर सहमति बनी है. दो से तीन दिन के अंदर समिति मंडलायुक्त को अपनी रिपोर्ट सौंप देगी. इसके बाद केंद्रों से ऑटो के संचालन को लेकर लखनऊ कमिश्नर की तरफ से फैसला लिया जाएगा. परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार अगर शहर में ऑटो संचालन के लिए केंद्रों की नई व्यवस्था लागू होती है तो इससे शहरवासियों को बड़ी सहूलियत होगी.
लखनऊ शहर की आबादी (Lucknow city population) तेजी से बढ़ी है. शहर का भी तेजी से विस्तार हुआ है, लेकिन आबादी और शहर के विस्तार की तुलना में साधनों में बढ़ोतरी (increase in resources) नहीं हुई है. वर्ष 2006 से ऑटो के नए परमिट (new auto permits) ओपन नहीं हुए हैं. वर्ष 2006 में जो 4343 ऑटो को परमिट मिले थे. टेंपो की संख्या भी काफी कम है. लखनऊ सिटी टांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड (Lucknow City Transport Services Limited) की सीएनजी बसें कंडम हो चुकी हैं. उनकी संख्या काफी कम हो गई है. हालांकि नई 100 इलेक्ट्रिक बसें फ्लीट में जरूर जुड़ी हैं. इसके बावजूद शहरवासियों की जरूरत के लिए यह संख्या काफी नहीं है. लखनऊ मेट्रो की बात करें तो अभी एक फेज का काम पूरा हुआ है और सिर्फ एयरपोर्ट से मुंशी पुलिया के बीच ही मेट्रो का संचालन होता है. चारबाग से बसंत कुंज का काम शुरू ही नहीं हो पाया है. उधर शहर का विस्तार लगातार होता जा रहा है. शहर के विस्तार से साधनों के अभाव को लेकर लखनऊ कमिश्नर रौशन जैकब ने 20 साल पुराने केंद्रों से ऑटो के संचालन की व्यवस्था को फिर से लागू करने की इच्छा जताई है. उनके निर्देश पर बनी समिति शहर में रूटों का सर्वेक्षण कर केंद्रों की संख्या निर्धारित कर रही है.
अभी तक शहर में लंबी दूरी के यात्रियों को एक स्थान से सीधे दूसरे स्थान तक पहुंचने के लिए साधन की कोई व्यवस्था नहीं है. उन्हें टुकड़ों में अपनी यात्रा पूरी करनी पड़ती है और इसी वजह से उन्हें ज्यादा किराया भी चुकाना पड़ रहा है. उदाहरण के लिए सरोजिनीनगर से जानकीपुरम (Sarojininagar to Jankipuram) जाने के लिए कोई सीधा साधन नहीं है. लिहाजा, यात्री को तीन टुकड़ों में अपनी यात्रा पूरी करनी पड़ती है. इसके लिए या तो फिर सीधे ऑटो या अन्य साधन बुक कराए और ज्यादा पैसे चुकाए या फिर साधनों के अभाव में इधर-उधर भटके और वाहन चालक के मनचाहा किराया मांगने पर मजबूरन ठगी का शिकार हो. इसी तरह राजाजीपुरम से पीजीआई (Rajajipuram to PGI) रूट का सीधा साधन नहीं है. मोहनलालगंज के लिए भी बस के अलावा कोई साधन नहीं मिलता. इसी तरह अन्य रूटों पर साधनों का अभाव है. लिहाज अगर केंद्र बन जाते हैं तो यात्रियों को यह पता रहेगा कि यहां से जाकर उन्हें कहां पर उतरना है और फिर से उन्हें अपनी मंजिल के लिए केंद्र से साधन मिल जाएंगे.
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