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Auto Fare In Lucknow : लखनऊ में बढ़ सकता है ऑटो का किराया, लाॅर्टस ने भेजा प्रस्ताव - लखनऊ ऑटो रिक्शा थ्री व्हीलर संघ

ऑटो में सफर करने वालों की जेब ढीली हो सकती है. लखनऊ के ऑटो वाले किराया बढ़ाने (Auto Fare In Lucknow) की तैयारी कर रहे हैं. इसको लेकर ऑटो रिक्शा थ्री व्हीलर संघ ने परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर मांग की है.

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Published : Jan 14, 2023, 10:29 AM IST

लखनऊ : राजधानी में लखनऊ ऑटो रिक्शा थ्री व्हीलर संघ ने परिवहन विभाग से ऑटो किराये में बढ़ोतरी की मांग की है. इसके लिए परिवहन विभाग को किराया बढ़ाने के लिए नई दरों का प्रस्ताव भेजा गया है. संघ के अध्यक्ष प्रभात कुमार दीक्षित ने प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर नई दरों को जल्द से जल्द लागू कराने की मांग की है. उन्होंने कहा कि "साल 2014 में ऑटो किराए में बढ़ोतरी की गई थी. अब नौ वर्षों में ईंधन का दाम दोगुना से अधिक बढ़ गया है. ऐसे में किराया प्रथम दो किलोमीटर के लिए 25 किया जाए और उसके बाद एक किलोमीटर के लिए 12 रुपए किया जाए, लेकिन किराया जस का तस है. ऐसे में किराए की बढ़ोतरी पर विचार किया जाना जरूरी है."

उन्होंने बताया कि "भुवनेश्वर, कोलकाता, बेंगलुरु, अहमदाबाद, सूरत, जयपुर और दिल्ली जैसे बड़े शहरों की तरह लखनऊ महानगर में भी किराए में वृद्धि की जानी चाहिए." उन्होंने बताया कि "वर्तमान में 1 किलोमीटर के लिए 6.39 रुपये किराया है, उसके बाद 500 मीटर की दूरी के लिए 3.04 रुपए किराया लिया जा रहा है." नया शासनादेश जारी करने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि "प्रथम न्यूनतम दूरी दो किलोमीटर निर्धारित होनी चाहिए, जो अभी तीन किलोमीटर निर्धारित है." उन्होंने बताया कि "सीएनजी से चलने वाले ऑटो रिक्शा प्रतिदिन 100 किलोमीटर चलते हैं. जिनकी सीएनजी खपत प्रतिदिन औसतन 30 किलोमीटर प्रति किलो है." अध्यक्ष ने बताया कि "फरवरी 2014 में सीएनजी की कीमत 49.76 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जबकि जनवरी 2023 में इसकी कीमत 98.96 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है. इसके अलावा ऑटो चालकों को बीमा, सर्विसिंग सहित कई और खर्चे भी होते हैं."

संघ का कहना है कि "ऑटो रिक्शा किराया बढ़ाने का शासनादेश लगभग 27 वर्ष पुराना है. शासनादेश में किराया बढ़ाने के लिए सिर्फ दो मद वाहन का ईंधन व चालक के वेतन को ही जिम्मेदार माना गया है, जबकि वाहन का मरम्मत खर्च एवं वाहन का बीमा भी किराए में वृद्धि के प्रमुख कारणों में से एक है." संघ का कहना है कि "पुराने शासनादेश में संशोधन करते हुए वाहन के मरम्मत व बीमा खर्च को भी उसमें शामिल किया जाए, जिससे ऑटो चालकों पर पड़ रहा आर्थिक बोझ कम हो सके."

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