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नभ के नीले सूनेपन में विलीन हो गए साहित्य के 'नामवर' - उत्तर प्रदेश न्यूज

हिंदी जगत के प्रख्यात साहित्यकार नामवर सिंह अब हमारे बीच नहीं हैं. उन्होंने मंगलवार रात 11.51 बजे 92 साल की उम्र में आखिरी सांस ली.

प्रसिद्ध हिंदी लेखक नामवर सिंह का निधन

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Published : Feb 20, 2019, 2:33 PM IST

लखनऊ :नभ के नीले सूनेपन में, हैं टूट रहे बरसे बादर, जाने क्यों टूट रहा है तन! बन में चिड़ियों के चलने से, हैं टूट रहे पत्ते चरमर, जाने क्यों टूट रहा है मन! घर के बर्तन की खन-खन में, हैं टूट रहे दुपहर के स्वर जाने कैसा लगता जीवन! ये मशहूर कविता हिंदी जगत के प्रख्यात साहित्यकार और आलोचक नामवर सिंह की है लेकिन अफसोस की बात है कि साहित्यजगत का एक और सितारा टूट गया.

नामवर सिंह अब हमारे बीच नहीं हैं, उन्होंने मंगलवार रात 11.51 बजे 92साल की उम्र में आखिरी सांस ली. उनका वृद्ध शरीर इतनी बीमारियों का बोझ सह नहीं पाया और वह हम सभी को छोड़कर चुपचाप अलविदा कह गए. उनके अवसान से हिंदी भाषा में जो शून्य आया है उसका स्थान कोई नहीं ले सकता.

प्रसिद्ध हिंदी लेखक नामवर सिंह का निधन

नामवर सिंह की भाषा शैली जितनी शानदार थी उतने ही अच्छे वह आलोचक भी थे. उन्होंने आलोचना की भाषा में मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रयोग कर इसे सर्व सामान्य बना दिया. शायद यही वजह है कि हिंदी आलोचकों में जो स्थान नामवर सिंह को हासिल है वो किसी और को नहीं. महज 16 महीनों के कम समय में ही हिंदी भाषा के महान कवियों में शुमार

बता दें कि नामवर सिंह की तबीयत जनवरी से खराब चल रही थी, जिसके बाद उन्हें दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती कराया गया था. डॉक्टरों के अनुसार नामवर सिंह को ब्रेन हेमरेज हुआ था. वह ठीक तो हो रहे थे लेकिन पूरी तरह से स्वस्थ कभी नहीं हो पाए. उनके घरवालों के मुताबिक उनका अंतिम संस्कार बुधवार दोपहर बाद लोदी रोड स्थित शमशान घाट में होगा.

नामवर सिंह के बारे में 7 बातें

  1. 28 जुलाई 1926 को बनारस के एक गांव जीयनपुर (अब चंदौली) में जन्मे नामवर सिंह 1 मई 1927 को अपनी जन्मतिथि बताते थे. लंबे समय तक इसी जन्मतिथि को सही माना गया.
  2. हिन्दी साहित्य में एमए और पीएचडी करने के बाद नामवर सिंह ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर काम किया.
  3. नामवर सिंह ने 1959 में चकिया चंदौली के लोकसभा चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार रूप में चुनाव लड़ा. मगर वह असफल हो गए. इसके बाद उन्हें बीएचयू छोड़ना पड़ा.
  4. बीएचयू छोड़ने के बाद उन्होंने 'जनयुग' के संपादन का काम किया.
  5. नामवर सिंह को एक लंबे समय तक अध्ययन और अध्यवसाय का दूसरा नाम माना जाता रहा.
  6. डॉ नामवर सिंह द्वारा लिखी गई आलोचना की पुस्तक 'कविता के नए प्रतिमान' (1968) आज भी काफी मशहूर है. इस आलोचना के लिए उन्हें 1971 का हिन्दी साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला है.
  7. ऐतिहासिक उपन्यास लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी के प्रिय शिष्‍य थे नामवर सिंह.

नामवर सिंह की रचनाएं

बकलम खुद- व्यक्तिव्यंजक निबन्धों का संग्रह, कविताओं तथा विविध विधाओं की गद्य रचनाओं के साथ संकलितशोध

हिन्दी के विकास में अपभ्रंश का योग-1952

पृथ्वीराज रासो की भाषा- 1956 (अब संशोधित संस्करण 'पृथ्वीराज रासो: भाषा और साहित्य' नाम से उपलब्ध)

आलोचना

  • आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियां-1954
  • छायावाद-1955
  • इतिहास और आलोचना- 1957
  • कहानी : नयी कहानी- 1964
  • कविता के नये प्रतिमान-1968
  • दूसरी परंपरा की खोज-1982
  • वाद विवाद और संवाद- 1989

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