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टेरर फंडिंग के लिए खाताधारकों को 5% से 10% करते थे भुगतान, पूछताछ में हुए कई खुलासे - एटीएस ने पूछताछ में किए कई खुलासे

टेरर फंडिंग के मामले में गिरफ्तार आरोपियों से एटीएस ने पूछताछ में कई खुलासे किए हैं. पूछताछ में पता चला है कि ये आरोपी 5% से 10% पर लोगों के बैंक अकाउंट में पैसे मंगाते थे.

एटीएस ने पूछताछ में किए कई खुलासे.

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Published : Nov 6, 2019, 9:21 PM IST

लखनऊ:टेरर फंडिंग मामले में पिछले दिनों नेपाल व लखीमपुर खीरी से गिरफ्तार किए गए अभियुक्तों से पूछताछ में कई खुलासे हुए हैं. एटीएस ने पिछले दिनों नेपाल के रास्ते होने वाली टेरर फंडिंग में हरमन असंगा पीटर, सदाकत हुसैन और माइकल को गिरफ्तार किया था. 31 अक्टूबर से 6 नवंबर तक ये तीनों एटीएस रिमांड पर थे. पूछताछ में इन अभियुक्तों से कई महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल हुई हैं.

आम लोगों के बैंक अकाउंट का करते थे प्रयोग
पूछताछ में अभियुक्तों ने बताया कि ये नेपाल व उत्तर प्रदेश में ऐसे अकाउंट होल्डरों की तलाश करते थे, जो 5% से 10% की रकम पर अपने अकाउंट का प्रयोग करने दें. उनके अकाउंट का प्रयोग कर बैंक खाते में पैसा मंगाया जाता था और फिर इसी संगठन के हैकर बैंक से पैसा दूसरी जगह ट्रांसफर करते थे. यह पूरा खेल लंबे समय से चल रहा था.

पाकिस्तान सहित कई अन्य देशों से आता था पैसा
पूछताछ में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि पैसा पाकिस्तान, अफगानिस्तान सहित कई अन्य देशों को भी ट्रांसफर किया जाता था. गिरफ्तार किए गए आरोपी हरमन असंगा पीटर ने अपने आप को भारतीय नागरिक बताया था. पीटर ने कहा था कि उनके पिता भारतीय और माता नाइजीरियन थी, लेकिन बातचीत में इस बात का खुलासा हुआ है कि पीटर नाइजीरिया का नागरिक है.

टूरिस्ट वीजा पर हिंदुस्तान आया था माइकल
इतना ही नहीं पूछताछ में पता चला है कि माइकल टूरिस्ट वीजा पर हिंदुस्तान आया था और लंबे समय से यहां अवैध तरीके से रह रहा है. पूछताछ में टेरर फंडिंग ग्रुप में संलिप्त एक और आरोपी सदाकांत के बारे में जानकारी मिली थी, जिसके बाद सदाकांत की गिरफ्तारी की गई.

साइबर अपराधों में लिप्त थे आरोपी
सदाकांत को कोर्ट के समक्ष पेश किया गया और अब उसकी रिमांड मिली है. एसटीएफ अब सदाकांत से भी विभिन्न पहलुओं पर पूछताछ करेगी. ये आरोपी टेरर फंडिंग के साथ विभिन्न तरह के साइबर अपराधों में लिप्त रहते थे. उन्होंने तमाम कंपनियां व जीमेल अकाउंट बना रखे थे, जिसके आधार पर ये साइबर क्राइम की घटनाओं को अंजाम देते थे.

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