लखनऊ:ISI के इशारे पर धर्मांतरण कराने का रैकेट चलाने वाले इस्लामिक दावा सेंटर जैसे संगठनों के आर्थिक स्रोतों को खत्म करने की कवायद शुरू हो गई है. ATS की इकोनॉमिक विंग गिरफ्त में आए देश विरोधी ताकतों के आर्थिक स्रोतों का पता लगाकर उन्हें तोड़ने का काम करेगी. इस शाखा की तरफ से जुटाए गए साक्ष्य अपराधियों को सजा दिलाने में ATS का मजबूत हथियार भी बनेंगे. ADG लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार का कहना है कि एटीएस की इकनोमिक विंग ISI आतंकियों व उससे जुड़े संगठनों के आर्थिक स्रोतों का पता लगाकर उन्हें तोड़ने का काम करेगी. इस पर काम शुरू ही गया है. आने वाले समय में इसके अच्छे परिणाम आएंगे.
आतंकवाद निरोधी दस्ता (ATS) के लिए बीते कुछ साल में रोहिंग्या घुसपैठिए और धर्मांतरण के जरिए आतंकी पैदा करने वाले संगठन चुनौती बनकर उभरे हैं. ATS हर साल इन संगठनों से जुड़े अपराधियों को पकड़कर जेल भेज रही, लेकिन इनके खिलाफ मिलने वाले साक्ष्य इतने मजबूत नहीं होते कि उन्हें कोर्ट में सजा दिलाई जा सके. इस तरह के अपराधियों को सजा दिलाना ATS के लिए बेहद चुनौती भरा काम है. इसका तोड़ निकालने हुए ATS ने खुद का इकोनॉमिक विंग खड़ा किया है.
साक्ष्य बनेंगे सजा का आधार
ATS के उच्चाधिकारियों का कहना है कि धर्मांतरण या विदेशियों को अवैध रूप से घुसपैठ कराने वाले संगठनों को पकड़ा जाता है तो उनके खिलाफ मिलने वाले साक्ष्य कोर्ट में सजा दिलाने के लिए काफी नहीं होते. साक्ष्य के अभाव में ऐसे देश विरोधी अपराधी जल्द जमानत पर बाहर आकर दोबारा अपराध शुरू कर देते हैं. कई मामलों में वह बरी भी हो जाते हैं, लेकिन अगर चार्जशीट के साथ कोई ऐसा साक्ष्य कोर्ट में पेश किया जाए जो साबित कर सके कि हो रहे अपराध से देश या प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भारी चोट पहुंच रही है तो ऐसे अपराधियों को कड़ी सजा दिलाना आसान होगा.