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मेरठ विकास प्राधिकरण के बाबू के पास मिली करोड़ों की संपत्ति, विजिलेंस ने दर्ज किया मुकदमा - Uttar Pradesh Vigilance Department

उत्तर प्रदेश विजिलेंस विभाग (Uttar Pradesh Vigilance Department) की जांच में मेरठ विकास प्राधिकरण (Meerut Development Authority) के बाबू की काली कमाई का खुलासा हुआ है. मामले को लेकर विजिलेंस ने क्लर्क के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है.

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Published : Dec 7, 2022, 1:16 PM IST

लखनऊ:मेरठ विकास प्राधिकरण (Meerut Development Authority) के बाबू रविंद्र चौहान (Babu Ravindra Chauhan) की काली कमाई का खुलासा हुआ है. आय से अधिक संपति के मामले में जांच कर रही विजिलेंस ने पाया है कि एमडीए क्लर्क ने करीब डेढ़ करोड़ की संपत्ति अवैध रूप से अर्जित की है. इस मामले को लेकर विजिलेंस ने क्लर्क के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है.

विजिलेंस मेरठ सेक्टर की इंस्पेक्टर पुष्पा गर्ग के अनुसार, शासन ने जनवरी 2020 को मेरठ विकास प्राधिकरण में तैनात बाबू रविंद्र चौहान के खिलाफ खुली जांच के आदेश दिये थे, जिसको लेकर विजिलेंस ने अपनी जांच शुरू की थी. इस दौरान पाया गया कि लोक सेवक रहते हुए रविंद्र ने 83,40,809 रुपये वैध श्रोतों से अर्जित किये थे. इस दौरान उन्होंने 21,85,6189 रूपये खर्च किये थे. जांच में पाया गया कि बाबू रविंद्र ने कमाई के सापेक्ष 135,153,80 रूपये अधिक खर्च किये थे.

विजिलेंस इंस्पेक्टर पुष्पा गर्ग (Vigilance Inspector Pushpa Garg) के मुताबिक, आय से अधिक खर्च को लेकर जब आरोपित क्लर्क से पूछताछ की गई, तो वह संतोषजनक जवाब व साक्ष्य नहीं दे सके. इस पर उन्हें आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का दोषी पाया गया है. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 13(1)(b) व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 13(2) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.

दरअसल, समाज सेवी नरेश अग्रवाल ने एक शिकायत की थी, जिसमें मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) बाबू रविंद्र चौहान पर आय से अधिक संपत्ति इकट्ठा करने का आरोप लगाया था. उन पर आरोप था कि बेगमपुल स्थित एक दुकान रविंद्र चौहान ने खरीदी है, जिसमें वर्तमान में मेडिकल स्टोर चल रहा है. साथ ही बच्चों को मेडिकल की पढ़ाई कराने में जो खर्च आया है, वह आय से अधिक संपत्ति का पैसा लगा है. कई प्लॉट और कृषि भूमि भी खरीदने का तथ्य शिकायत में दिया गया था. आरोप था कि बाबू रविंद्र चौहान (Babu Ravindra Chauhan)ने अपने नाम संपत्ति नहीं करा कर ससुराल पक्ष के लोगों के नाम संपत्ति कराई है.

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