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यूपी के IAS, IPS पर छा रहा राजनीति का खुमार, नौकरी छोड़ उतर रहे मैदान में

राजनीति का चस्का ऐसा है जो एक बार लग जाए तो छूटता नहीं है. राजनीति के अखाड़े में उतरने के लिए बड़ों-बड़ों ने अच्छी-अच्छी नौकरियां छोड़ दीं. वहीं, कुछ ने तो सेवानिवृत होने के बाद राजनीति में कदम रखा. आइए जानते हैं... ऐसे ही कुछ IAS, IPS अफसरों की कहानी...

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Published : Sep 5, 2021, 12:02 PM IST

लखनऊ:यूपी में एक नया ट्रेंड चला है. पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर ही नहीं बल्कि, तमाम आईएएस और आईपीएस व सरकारी अफसर रिटायर होने के बाद राजनीति में उतरने लगे हैं. बीते एक दशक में कई ऐसे टैक्नोक्रेट्स और ब्यूरोक्रेट्स हैं जिन्होंने रिटायर या फिर नौकरी छोड़ सियासत की राह पकड़ ली और उन्हीं सरकारों की आलोचना में जुट गए, जिनके हर काम में वे खुद शामिल हुआ करते थे.

पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर

पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर का नाम यूपी की राजनीति में लगातार चर्चा में बना है. अपनी बेबाकी के लिए जाने, जाने वाले ठाकुर को समय से पहले ही सरकार ने कंपलसरी रिटायरमेंट दे दिया था. अमिताभ ठाकुर 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं. अमिताभ ठाकुर ने कहा कि अपने समर्थकों और शुभचिंतकों से विचार-विमर्श करने के बाद उन्होंने एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने का फैसला किया है. कहा कि पार्टी बनाने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी और उनके नए संगठन का प्रस्तावित नाम 'अधिकार सेना' होगा. पार्टी गठन की घोषणा के बाद ही अमिताभ ठाकुर को घेरने की कोशिश शुरू कर दी गई. उन्हें पहले घर में नजरबंद किया गया. फिर दिल्ली सुप्रीम कोर्ट के बाहर रेप पीड़िता के आत्मदाह करने के मामले में केस दर्ज कर घर से कोतवाली ले जाया गया और उसके बाद जेल भेज दिया गया. अभी अमिताभ ठाकुर कानूनी प्रक्रिया का सामना कर रहे हैं.

रिटायर्ड IAS एके शर्मा

गुजरात कैडर के आईएएस रहे अरविंद शर्मा कुछ महीने पूर्व तक केंद्र सरकार में बड़े विभाग में सचिव के पद पर कार्यरत थे. नौकरी छोड़ उन्होंने राजनीति में कदम रखा और भाजपा में शामिल हो गए. भाजपा ने उन्हें यूपी से एमएलसी बना दिया. एमएलसी के लिए नामांकन करने जब वे लखनऊ आए तो उनका भव्य स्वागत किया गया था. नामांकन के साथ ही अरविंद शर्मा का नाम लगातार सुर्खियों में चलता रहा. जैसे ही वे एमएलसी चुने गए तो यह चर्चा आम होने लगी कि प्रदेश मंत्रिमंडल में जल्द ही बड़ा फेरबदल होगा और अरविंद शर्मा को उप मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. उन्हें कभी उप मुख्यमंत्री तो कभी प्रदेश सरकार में किसी बड़े विभाग में कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की चर्चाएं लगातार चलती रहीं, लेकिन बाद में प्रधानमंत्री के करीबी पूर्व आईएएस एके शर्मा को यूपी में प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया. भाजपा का उपाध्यक्ष बनने के बाद एके शर्मा लगातार यूपी में एक्टिव हैं.

रिटायर्ड IAS सूर्य प्रताप सिंह

यूपी काडर 1982 बैच के IAS सूर्य प्रताप सिंह ने रिटायरमेंट से छह माह पूर्व वर्ष 2015 में BRS ले लिया था. बुलंदशहर के रहने वाले सूर्य प्रताप रिटायर्ड होने के बाद भी लगातार केंद्र और यूपी सरकार की नीतियों पर हमला बोलते रहते हैं. उनके ट्वीट के आधार पर यूपी सरकार 12 माह में 6 FIR भी दर्ज कर चुकी है. हालांकि, FIR के बाद भी सूर्य प्रताप सिंह अपनी आवाज बुलंद किए हुए हैं. पूर्व अधिकारी के मुताबिक, 25 साल के करिअर में उनका 54 बार तबादला हुआ. यूपी की सपा सरकार की नीतियों की लगातार आलोचना कर सुर्खियों में आए. हालांकि, उस समय सूर्य प्रताप भारतीय जनता पार्टी की तारीफ करते नहीं थकते थे, लेकिन भाजपा सत्ता में आई तो अचानक सूर्य प्रताप ने योगी सरकार के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया.

पूर्व DSP शैलेन्द्र सिंह

पंजाब की जेल में बंद उत्तर प्रदेश के माफिया और विधायक मुख्तार अंसारी पर पोटा लगाने वाले सैयदराजा क्षेत्र के फेसुड़ा गांव निवासी व पूर्व पुलिस उपाधीक्षक शैलेंद्र सिंह वर्तमान में जैविक खेती कर रहे हैं. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे दादा रामरूप सिंह और पुलिस अफसर पिता स्वर्गीय जगदीश सिंह से बहादुरी विरासत में मिली थी. इसलिए माफिया से मोर्चा लेने में तनिक भी नहीं हिचकिचाए. इसके चलते नौकरी छोड़नी पड़ी. फिर भी जीवन में निराशा को हावी नहीं होने दिया. 1991 बैच के पीपीएस रहे शैलेंद्र सिंह मुख्तार प्रकरण के बाद 2004 में वाराणसी से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा का चुनाव लड़े. इसके बाद 2006 में कांग्रेस में शामिल हुए. इसके बाद उन्हें यूपी आरटीआई का प्रभारी बनाया गया.

2009 में कांग्रेस के टिकट पर चंदौली से लोकसभा का चुनाव लड़े. हालांकि चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे. 2012 में सैयदराजा विधानसभा से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़े. इस बार भी पराजय हाथ लगी. 2014 में नरेंद्र मोदी के संपर्क में आए और भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य बने. उन्हें लोकसभा चुनाव में वार रूम की जिम्मेदारी मिली. वे सड़कों पर और किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले बेजुबानों को अपने गोशाला में आश्रय देते हैं. कृषि का आधार रहे बैलों के जरिए बिजली भी पैदा कर रहे हैं. वह जैविक खेती भी कर रहे हैं. अभी हॉल में उन्हें अदालत से बड़ी राहत मिली है और उनके खिलाफ दायर सभी मुकदमे वापस लेने के आदेश दिए गए हैं.

रिटायर्ड IAS पीएल पुनिया

पंजाब के रहने वाले रिटायर्ड आईएएस पीएल पुनिया इन अधिकारियों के रोल माॅडल के रूप में काम कर रहे हैं. पुनिया पहले मुलामय सरकार में उनके खास सिपहसालार थे. फिर मायावती सरकार आई तो माया सरकार में उनके खास हो गए. वे मायावती सरकार में प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री भी रहे. रिटायर होने के बाद पुनिया बाराबंकी की सुरक्षित संसदीय सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े. जीतने के बाद कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में उन्हें अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष बनाकर मंत्री पद का दर्जा भी दे दिया. अब उनका लड़का भी राजनीति में आ गया है.

PCS एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बाबा हरदेव भी आए राजनीति में

उत्तर प्रदेश प्रशासनिक सेवा संघ पीसीएस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष रहे बाबा हरदेव सिंह ने रिटायर होने के बाद अपनी किस्मत आजमाई. पूर्वी उत्तर प्रदेश के रहने वाले बाबा हरदेव ने आगरा से विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत राष्ट्रीय लोकदल की सीट से आजमाई. बुरी तरह हारने के बाद अब फिर वे भाजपा में शामिल हो गए. बाबा हरदेव राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे.

इन अफसरों ने भी राजनीति में आजमाई किस्मत

बीते चुनाव के दौरान बड़े स्तर पर अधिकारियों ने रिटायर होने के बाद राष्टीय लोकदल की सदस्यता ग्रहण की थी. जिन अधिकारियों ने राष्ट्रीय लोकदल की सदस्यता ली थी उनमें निदेशक होम्योपैथिक निदेशालय बीएन सिंह, मुख्य अभियंता सिंचाई आरके जायसवाल, मुख्य अभियंता लोक निर्माण आरके गौतम भी मुख्य थे. इसी प्रकार पूर्व आईएएस आरए प्रसाद ने बसपा की सदस्यता ली और विधानसभा चुनाव लड़े. लम्बे समय तक मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग रहे टी. राम भी बसपा में शामिल हुए और विधानसभा चुनाव जीते.

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पूर्व आईएएस आरके सिंह ने पहले अपनी पत्नी ओमवती को विधायक का चुनाव लड़वाया और फिर वह मंत्री बन गईं. बाद में आरके सिंह ने खुद अपनी किस्मत सियासत में आजमाई. पूर्व आईएएस राय सिंह ने भी रिटायर होने के बाद सपा की सदस्यता ली और चुनाव लड़ने के लिए मैदान में कूद गए थे. इसी प्रकार अन्य अधिकारियों ने भी सियासत में अपने कदम रखे.

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