लखनऊ :भाजपा नेता और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद सदस्य उमेश द्विवेदी की फॉर्च्यूनर गाड़ी में जो टेंपर्ड चेचिस लगी है, उसे लेकर ईटीवी की पड़ताल में एक नया और सनसनीखेज खुलासा हुआ. विधायक की गाड़ी में लगाई गई चेसिस उत्तर प्रदेश की नहीं, बल्कि असम राज्य के डिब्रूगढ़ जिले के अतुल चंद्रा की गाड़ी की है. देश के सबसे बड़े न्यूज नेटवर्क वाले ईटीवी समूह ने अपने असम ब्यूरो से इस पूरे मामले की पड़ताल कराई और इसके बाद जो खुलासे हुए वह वाकई हैरान करने वाले हैं. अब सवाल यह भी उठने लगे हैं कि विधायक जिस गाड़ी से चल रहे थे, उसमें नंबर मेरठ के फैसल की गाड़ी का डाला गया और चेसिस असम की किसी गाड़ी की है तो असल में यह गाड़ी किसकी है? क्या है किसी अन्य गाड़ी को चोरी कर चेसिस टेंपर की गई है या फिर इसमें कोई और राज छिपा है. इस पूरे मामले में पुलिस की चुप्पी भी हैरान करने वाली है. आखिर पुलिस ने अब तक केस दर्ज कर गाड़ी को अपने कब्जे में क्यों नहीं लिया.
असम की असली गाड़ी और चेसिस की कहानी : फर्जी चेसिस और दूसरे की गाड़ी के नंबर पर जिस गाड़ी से विधायक उमेश द्विवेदी चल रहे थे, उस गाड़ी के कई राज सामने आने अभी बाकी हैं. हालांकि ईटीवी भारत की टीम ने इस मामले की गहन पड़ताल कर कई तथ्य सबके सामने रखे हैं. दरअसल विधायक उमेश द्विवेदी की गाड़ी में लगी चेसिस असम राज्य के डिब्रूगढ़ निवासी अतुल चंद्रा की गाड़ी की है. अतुल चंद्रा की गाड़ी का नंबर AS 06 N 5570 है, जिसकी चेसिस काट कर विधायक की गाड़ी में लगाई गई है. जब इस संबंध में ईटीवी असम के ब्यूरो चीफ प्रशांत बरुआ ने पड़ताल की तो पता चला कि उपरोक्त गाड़ी के निजी कंपनी में बड़े पद पर अधिकारी के रूप में कार्यरत अतुल चंद्रा की थी. अतुल चंद्रा इन दिनों पक्षाघात सी पीड़ित हैं और बीमारी के कारण चलने-फिरने में असमर्थ हैं. उनके पुत्र जीतुमोनी कोटोकी ने ईटीवी भारत को बताया कि उनकी फॉर्च्यूनर गाड़ी 2017 में दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. जिसके बाद बजाज कंपनी ने उन्हें क्लेम दे दिया. इसके बाद गाड़ी का मलबा स्क्रैप में बेच दिया गया. जानकार बताते हैं कि उसी मलबे से चेसिस काटकर निकाली गई और अंततः: विधायक की गाड़ी में लगाई गई.
...तो किसकी है असल गाड़ी : ईटीवी भारत की इस पूरी पड़ताल के बाद यह साफ हो गया है कि विधायक की गाड़ी में मेरठ के फैसल की गाड़ी के नंबर का इस्तेमाल कई साल से किया जा रहा था. अब यह भी साफ हो गया है कि चेसिस असम की गाड़ी से काटकर टेंपर की गई है. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि इस गाड़ी का असल मालिक कौन है. इस गाड़ी का चेसिस नंबर क्या है. क्या यह गाड़ी चोरी की है? यदि हैं तो इसका असल मालिक कौन और कहां है. वाहनों के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले लोग बताते हैं कि आमतौर पर ऐसी गाड़ियों के इंजन नंबर को भी मिटा या बिगाड़ दिया जाता है और यदि इंजन नंबर मिटाया या बिगाड़ा न जाए तो भी गाड़ी के असल मालिक का पता किया जा सकता है. स्वाभाविक है कि यह काम पुलिस का है, लेकिन उसे इस मामले को सुलझाने में कोई रुचि नहीं है.