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मोदी के करीबी एके शर्मा योगी कैबिनेट में शामिल होकर ब्यूरोक्रेसी पर कसेंगे नकेल! - up politics

तीन दिवसीय दौरे पर लखनऊ आए भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष से अलग-अलग मिलकर मंत्रियों ने ब्यूरोक्रेसी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं. अब जानकारी मिल रही है कि पूर्व नौकरशाह एके शर्मा को योगी कैबिनेट (Yogi Cabinet) में शामिल कराकर बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी.

योगी कैबिनेट
योगी कैबिनेट

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Published : Jun 4, 2021, 3:21 PM IST

लखनऊःयोगी सरकार के मंत्री ब्यूरोक्रेसी से खासा नाराज हैं. भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) नेतृत्व की तरफ से अब तक जितनी बार भी फीडबैक लिया गया है, उसमें ज्यादातर मंत्रियों ने ब्यूरोक्रेसी (Bureaucracy) को बेअंदाज और बेलगाम करार दिया है. सूत्रों के अनुसार लखनऊ के तीन दिवसीय दौरे पर आए भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष से अलग-अलग मिलकर मंत्रियों ने भी ब्यूरोक्रेसी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं. केंद्रीय नेतृत्व अब इस बात से नाराज है. जानकारी मिल रही है कि पूर्व नौकरशाह एके शर्मा को योगी कैबिनेट (Yogi Cabinet) में शामिल कराकर बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी. शर्मा ही ब्यूरोक्रेसी पर नकेल कसेंगे.

अफसरों ने मंत्रियों को दिखाया पीएमओ का डर
योगी सरकार (Yogi Government) के एक मंत्री नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों ने हम लोगों को पीएमओ (PMO) के नाम का डर दिखाया. अधिकारी इस बात का एहसास कराते रहे कि आज विभाग की पीएमओ को रिपोर्ट भेजनी है. राज्य की ब्यूरोक्रेसी की तरफ से यह स्थापित करने की कोशिश की गई कि पीएमओ की नजर उत्तर प्रदेश सरकार की हर गतिविधि पर है. यहां के प्रत्येक मंत्री की रिपोर्ट पीएमओ को जाती है. अफसर की रिपोर्ट पीएमओ को जाती है. यह रिपोर्ट तैयार करने वाले और पीएमओ को भेजने वाले भी नौकरशाह ही हैं. वह तो यहां तक कहते हैं कि इससे मुख्यमंत्री कार्यालय भी अछूता नहीं रहा है. मुख्यमंत्री कार्यालय को भी यह एहसास कराया जाता रहा है कि उत्तर प्रदेश में अगर कोई भी कदम उठाना है तो उसके लिए पीएमओ की इजाजत चाहिए होगी.

मंत्रियों की भी नहीं सुनते सूबे के बड़े अफसर
ऐसे में मंत्रियों का सीनियर अफसरों पर कोई दबाव नहीं रहा. इसका असर यह हुआ कि मंत्री के फोन करने पर भी जिले के अफसर कुछ सुनने को तैयार नहीं. ऊपर से मुख्यमंत्री ने कई बार मंचों से यह कह दिया कि अफसर ईमानदारी से काम करें. उनके काम में कोई (राजनीतिक) व्यक्ति हस्तक्षेप नहीं करेगा. इसके बाद तो विधायकों की थानेदार भी सुनना बंद कर दिए. पूर्वी जिले के एक विधायक ने बताया कि उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र के एक पुलिस थाने के एसओ की लिखित शिकायत सीएमओ से की. 15 दिन बाद उस पत्र की फोटोकॉपी थानेदार के हाथ में थी. थानेदार क्षेत्र की जनता को पत्र दिखाकर कहना शुरू किया कि विधायकजी ने मेरी शिकायत सीएम ऑफिस में किये हैं. इसका दूसरा मतलब यह है कि विधायकजी शिकायत के बाद भी वह जमा हुआ है. पिछले दिनों बीजेपी विधायक ने कहा था कि इस सरकार में उनकी हैसियत ही क्या है. सच बोलेंगे तो देशद्रोह लग जायेगा.

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फीडबैक के आधार पर यूपी की तैयार हुई स्क्रिप्ट
ऐसे ही संगठन, विधयकों और मंत्रियों से मिले फीडबैक के आधार पर केंद्रीय नेतृत्व ने समाधान की ओर कदम बढ़ा दिया है. गुजरात कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी और मोदी के करीबी अरविंद कुमार शर्मा का यूपी आना और मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें इसी का रणनीति का हिस्सा है. मंत्रिमंडल विस्तार में न केवल अरविंद कुमार शर्मा को कैबिनेट मंत्री बनाया जाएगा बल्कि उन्हें अहम जिम्मेदारी भी मिलेगी. सूत्रों के मुताबिक एके शर्मा ने यूपी की स्क्रिप्ट तैयार कर पीएमओ को सौंप दी है, फिल्म बनना बाकी है.

अरविंद शर्मा को केंद्र से मिल रही राजनीतिक ऑक्सीजन
सूत्रों के अनुसार अरविंद कुमार शर्मा को पूरी प्लानिंग के साथ उत्तर प्रदेश भेजा गया है. उत्तर प्रदेश का एक बड़ा नाराज धड़ा उनके सम्पर्क में है. सम्पर्क इसलिए नहीं कि बगावत होगी, बल्कि यह संपर्क मोदी और भाजपा की दृष्टि से सकारात्मक है. एक मजबूत रणनीति के तहत काम करते हुए भाजपा को दोबारा सत्ता में लाने की है. भाजपा को दोबारा सत्ता में लाने में जो लोग भी रोड़ा बन रहे हैं, उन्हें किनारे कर दिया जाएगा. जो लोग यह सोच रहे हैं कि अरविंद शर्मा को ऑक्सीजन कहां से मिल रही है तो उन्हें समझ जाना चाहिए कि देश में इस समय जहां से सबसे अधिक मात्रा में राजनीतिक ऑक्सीजन मिल सकती है, वहीं से शर्मा को भी मिल रही है. सूत्रों की मानें तो योगी मंत्रिमंडल का विस्तार का पूरा खाका तैयार कर लिया गया है. कभी भी विस्तार किया जा सकता है.

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