लखनऊ:कर्बला के शहीदों की याद में पहली मोहर्रम को अपने रिवायती अंदाज में शाही जरी निकाली है. शाही जरी का काम इन दिनों लखनऊ के छोटे इमामबाड़े में खास कारीगर करने में व्यस्त हैं, लेकिन बढ़ती महंगाई के मद्देनजर पिछले 4 साल से हुसैनाबाद ट्रस्ट ने इनके बजट में कोई बढ़ोतरी नहीं की है. जिससे शाही जरी के कारीगरों में मायूसी है.
शाही जरी के कारीगर मायूस
ऐतिहासिक बड़े इमामबाड़े से छोटे इमामबाड़े तक पहली मोहर्रम को निकाले जाने वाले मोम की शाही जरी को बना रहे जरवल शहर के नसीम अली और उनके परिवार के लोग बरसों से यह काम करते आए हैं. जिस पर हुसैनाबाद ट्रस्ट की ओर से उनको इनाम से भी नवाजा जाता है, लेकिन बढ़ती महंगाई के चलते पिछले 4 सालों से हुसैनाबाद ट्रस्ट ने उनके बजट में कोई बढ़ोतरी नहीं की है. जिसे यह शाही कारीगर अब मायूस हैं.