लखनऊ : उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरी पाने वालों के चरित्र और शैक्षणिक अभिलेखों के सत्यापन की वजह से नियुक्ति पत्र जारी होने में अब देरी नहीं होगी. सरकार ने प्रक्रिया में बदलाव किया है, जिसके मुताबिक अभ्यर्थियों से ही उनके रिकॉर्ड के बारे में सत्यापन पत्र और स्वघोषणा पत्र लिए जाएंगे. इसी के आधार पर उन्हें प्रोविजनल नियुक्ति पत्र जारी किया जाएगा. नियुक्ति पाने के बाद अभ्यर्थी अभिलेखों का सत्यापन कराकर जमा कर सकेंगे.
मुख्य सचिव ने जारी किया शासनादेश
मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी की तरफ से इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया गया है. सत्यापन और स्वघोषणा पत्र का प्रारूप भी निर्धारित किया गया है. प्रदेश की सरकारी सेवाओं में चयनित युवाओं के चरित्र और उनके पिछले अभिलेख के सत्यापन में आमतौर पर दो से छह महीने का समय लग जाता है, जिससे रिक्त पदों को भरने के लिए नियुक्ति पत्र जारी होने में देरी होती है. देरी न हो, इसलिए सरकार ने यह कदम उठाया है.
स्वघोषणा पत्र के आधार पर मिलेगा प्रोविजनल नियुक्ति पत्र
मुख्य सचिव की तरफ से जारी शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि प्रदेश में सरकारी नौकरी के लिए चयनित अभ्यर्थियों के चरित्र और अभिलेखों का सत्यापन पहले की तरह ही किया जाएगा, लेकिन नियुक्ति पत्र जारी करने के प्रकरण को इस तरह के सत्यापन के लिए लंबित रखने की जरूरत नहीं है. अभ्यर्थी से निर्धारित अभिलेखों में सत्यापन पत्र और स्वघोषणा पत्र लेकर उसे प्रोविजनल नियुक्ति पत्र जारी कर दिया जाएगा.
यूपी में अब चरित्र व शैक्षिक अभिलेख सत्यापन के कारण नहीं रुकेगी नियुक्ति - चरित्र व शैक्षिक अभिलेख सत्यापन के कारण नहीं रुकेगी नियुक्ति
उत्तर प्रदेश में अब चरित्र व शैक्षिक अभिलेख सत्यापन के कारण नियुक्तियां नहीं रुकेंगी. जारी नए शासनदेश के मुताबिक, अभ्यर्थियों को खुद सत्यापन पत्र और स्वघोषणा पत्र देना होगा, जिसके आधार पर उन्हें प्रोविजनल नियुक्ति पत्र जारी किया जाएगा.
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गलत सूचना देने पर होगी कार्रवाई
प्रत्येक अभ्यर्थी को सत्यापन के विवरण के साथ इस आशय का स्वघोषणा पत्र भी जमा करना होगा कि प्रपत्र में दिए गए सभी तथ्य और विवरण सही हैं. इसके साथ ही प्रोविजनल नियुक्ति पत्र में भी यह स्पष्ट रूप से लिखा जाएगा कि यदि अभ्यर्थी का चरित्र और पिछला रिकॉर्ड सत्यापित नहीं होता है या उसने अपने सत्यापन या घोषणा पत्र में कोई गलत सूचना दी है तो प्रोविजनल नियुक्ति पत्र तत्काल निरस्त कर दिया जाएगा. इसके साथ ही उसके खिलाफ आपराधिक और कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी. चरित्र और पिछले रिकॉर्ड के सत्यापन की कार्रवाई छह महीने में पूरी कर ली जाएगी.